खिल-खिलाकर हंसिए क्योंकि मोदी चाहते हैं | LAUGHING MODI

चेन्नई। नोटबंदी की लंबी कतारों के बाद मंहगे हुए पेट्रोलियम पदार्थों और साथ बढ़ रही महंगाई और बेरोजगारी के बीच मोदी चाहते हैं कि लोग हंसे और खिल-खिलाकर हंसे। उनका कहना है कि खिल-खिलाकर हंसने से जिंदगी के कई दर्द गायब हो जाते हैं। मुस्कान या हंसी, गाली या किसी अन्य हथियार अधिक ताकतवर है।

दिवंगत चो रामास्वामी द्वारा शुरू की गयी तमिल पत्रिका ‘तुगलक’ की 47 वीं जयंती को संबोधित करते हुए मोदी ने खासकर इन मशहूर पत्रकार की हास्यव्यंग्य की क्षमता का उल्लेख किया तथा दैनिक जीवन में उसकी और मांग की। उन्होंने कहा, ‘मैं समझता हूं कि हमें और व्यंग्य एवं हास्यविनोद की जरूरत है। हास्यविनोद हमारे जीवन में खुशी लाता है। हास्यविनोद बेहतरीन मरहम है। मुस्कान या हंसी की ताकत गाली या किसी अन्य हथियार की ताकत से अधिक है।’ 

प्रधानमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए नयी दिल्ली से कहा, ‘हास्य विनोद उन्हें तोड़ने के बजाय जोड़ता है और आज हमें इसी की जरूरत है। लोगों के बीच, समुदायों के बीच, समाजों के बीच सेतु बनाना।’ अपने मित्र रामास्वामी की प्रशंसा करते हुए मोदी ने कहा कि अभिनेता-पत्रकार को हास्यव्यंग्य में महारत थी और वह एक वाक्य या कार्टून के जरिए अपनी बात कहने में माहिर थे। उन्होंने उनके लिए रामास्वामी द्वारा बनाए गए एक कार्टून को याद किया और कहा कि यह वर्तमान स्थिति को बताने के लिए उचित था।

उन्होंने कहा, ‘यह मुझे चो के एक कार्टून की याद दिलाता है जहां लोग बंदूक से मुझे निशाना बना रहे हैं और आम लोग मेरे आगे खड़े हैं। चो पूछते हैं असली निशाना कौन है, मैं या आम लोग? आज के संदर्भ में यह कार्टून कितना उचित है।’ प्रधानमंत्री ने गुजरात के मुख्यमंत्री के दिनों से ही उनके करीब समझे जाने वाले रामास्वामी को श्रद्धांजलि दी।

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