
बता दें की सीधी सांसद पर लाभ के पद पर रहते हुए चुनाव लड़ने का आरोप लगाकर निर्वाचन आयोग से शिकायत की गई है जिसकी जांच के लिये आयोग ने सही प्रतिवेदन भेजने का आदेष जारी किया था लेकिन जिला निर्वाचन अधिकारी सीधी ने अपराधिक प्रकरणों की सुनवाई की तरह साक्ष्य परीक्षण व प्रति परीक्षण करा रहे है प्रदिवेदन भेजने मे हो रही देरी को लेकर षिकायत कर्ता ने एक बार फिर प्रदेश निर्वाचन पदाधिकारी से गुहार लगाई तो निर्वाचन पदाधिकारी ने कलेक्टर को रिमाण्डर पत्र भेजकर त्वरित प्रतिवेदन देने का आदेश जारी किया है।
उनका आदेश मिलते ही जिले के अधिकारियों मे खलवली मच गई आनन फानन मे दोनो पक्षों के अभिभाषको को फोन के माध्यम से बुला कर पहले से तय की गई तारीख को बदल कर 7 जनवरी की तारीख तय की है। देखना है कि जिला प्रशासन अपना प्रतिवेदन निर्वाचन पदाधिकारी को भेजता है या फिर राजनैतिक दबावों के सामने पुराने रवैया पर चलता है यह आज 12 बजे के बाद पता चल सकेगा।
क्या था आरोप
दोहरे लाभ के पद के मामले को लेकर सांसद की सदस्यता पर सवाल उठाते हुए उनका निर्वाचन शून्य घोषित करने की शिकायत निर्वाचन आयोग मे की गई थी, जिसकी जांच जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा शुरू की जा चुकी है। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा शुरू की गई जांच के मामले मे अपर कलेक्टर एवं उप जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ.एमपी पटेल द्वारा गत २८ दिसंबर को पक्ष रखने के लिए शिकायतकर्ता रामबिहारी पांडेय, कांग्रेस विधायक मुकेश नायक के साथ ही सांसद रीती पाठक को भी अपना पक्ष रखने लिए समक्ष मे बुलाया गया था, लेकिन उक्त दिनांक को केवल एक शिकायतकर्ता रामबिहारी पांडेय द्वारा शिकायत संबंधी समस्त अभिलेखों के साथ एडीएम के समक्ष मे उपस्थित होकर अपना बयान दर्ज कराया गया था। जबकि मामले के दूसरे शिकायतकर्ता विधायक पवई मुकेश नायक की ओर से अधिवक्ता रोहित मिश्रा उपस्थित होकर बयान दर्ज कराने एवं अभिलेख प्रस्तुत करने के लिए समय मांग लिया था, इसके साथ ही सांसद रीती पाठक की ओर से भी अधिवक्ता अरूण सिंह उपस्थित होकर बयान दर्ज कराने एवं आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा था।
अभिभाषक ने दर्ज कराई आपत्ति
सांसद की ओर से शिकायत कर्ता से प्रतिपरीक्षण के लिये अवसर की याचना करने पर शिकायत कर्ता के अधिवक्ता डीपी मिश्र ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा की शिकायत कर्ता द्वारा मात्र शिकायत और पेश किये गये अभिलेखों की सत्यता के सम्बंध मे कथन दिया है कि मेरे द्वारा पेश किये गये तथ्य सही है अनावेदक कोई जबाव प्रस्तुत नही की है उन्हे शिकायत कर्ता से प्रति परीक्षण का कोई अधिकार नही बनता है।