
उत्तरप्रदेश में पीएम नरेंद्र मोदी की लोकसभा सीट वाराणसी मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर चौबेपुर थाना क्षेत्र में पडऩे वाला गांव तिवारीपुर ही गौरव की जन्मस्थली है। बनारस के लोग गौरव तिवारी के तबादले को लेकर सुर्खियों में आ रही हर खबर पढ़ रहे हैं। उनके पिता अरुण तिवारी बेहद खुश हैं कि आज उनके बेटे की ईमानदारी की चर्चा हर तरफ हो रही है। नातेदार-रिश्तेदार से लेकर गांव के लोगों और पहचान वालों के फोन आ रहे हैं, वे खुद दरवाजे पर मिलने और बधाई देने आ रहे हैं। एक पिता को और क्या चाहिए।
अरुण कहते हैं कि उनका बेटा बेमिसाल है। बेटे की निर्भीक कार्यशैली उसे सलाम करने के लिए प्रेरित कर रही है। उसकी ईमानदारी हर किसी को प्रेरित कर रही है। गांव के युवाओं में जोश है। अरुण सीने पर हाथ रखकर कहते हैं कि भगवान करे कि ऐसा बेटा हर किसी को मिले। गांववाले गद-गद हैं कि गौरव ने तिवारीपुर की शान में चार-चांद लगा दिए हैं।
अरुण तिवारी इलाके के सम्पन्न किसान हैं। घर में किसी चीज की कमी नहीं है। उन्होंने गौरव को देश की सेवा के लिए ही पुलिस में भेजा है। पिता अरुण कहते हैं कि कटनी में हो रहे आंदोलन से पता चलता है कि मप्र में ईमानदार अफसर की जरूरत है। वहां की आम जनता सड़क पर इसलिए उतरी क्योंकि वे गौरव जैसी कार्यशैली वाले अफसर के माध्यम से बेहतर भविष्य की आस लगाए बैठी है। रही बात तबादले की तो वह सरकारी नौकरी की एक कड़ी है।
गौरव के बड़े भाई अपूर्व तिवारी निजी आइटीआई के प्रबंधक हैं। दोनों भाइयों के एक बड़ी बहन भी है जिसकी शादी हो चुकी है। गौरव के परदादा मारकंडेय तिवारी जमींदार थे। परदादा के सगे भाई रामलखन तिवारी आर्डिनरी भूतपूर्व सैनिक कल्याण बोर्ड के सेक्रेटरी रहे जबकि गौरव के बाबा केदारनाथ तिवारी के छोटे भाई एसएन तिवारी हाइकोर्ट में जज थे। गौरव के बड़े पिता अजीत कुमार तिवारी भी रिटायर्ड जज हैं।