नईदिल्ली। नोटबंदी को लेकर सोशल मीडिया के नेता भले ही कितनी दलीलें दे दें लेकिन किसी भी विद्वान अर्थशास्त्री ने इसे उचित करार नहीं दिया है। मुंबई में नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने फिर नोटबंदी की आलोचना की है। उन्होंने कहा, ‘समय-समय पर हम सरकार द्वारा एकतरफा ढंग से छोड़ी गई मिसाइलों का सामना करते रहे हैं। नोटबंदी भी ऐसी ही एक मिसाइल है। लोगों को दिक्कतों की रिपोर्ट तो सामने रही हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं कि यह मिसाइल गिरी कहां है। इस फैसले में लोकतांत्रिक परम्पराओं का पालन नहीं किया गया।’
यूपीए सरकार में भारत रत्न से सम्मानित किए गए सेन ने एक संगोष्ठी में कम्युनिस्ट चीन तथा भारत जैसे लोकतांत्रिक देशों में फैसले करने की प्रक्रिया की तुलना करते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि चीन में फैसले लोगों के एक छोटे समूह के दृष्टिकोण पर किए जाते हैं, जबकि हमारे यहां लोगों की मांग पर भी फैसले होते हैं।
बता दें कि 8 नवम्बर 16 को नोटबंदी के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि आप केवल 50 दिन मुझे दे दीजिए, यदि मैं आपके सपनों का भारत खड़ा ना कर दूं तो आप जिस चौराहे पर कहेंगे, मैं आ जाउंगा।