भोपाल। भाजपा विधायक ध्रुवनारायण सिंह से कथित अवैध रिश्तों के कारण मारी गई आरटीआई कार्यकर्ता शेहला मसूद की नजदीकियां तत्कालीन राज्यसभा सांसद तरुण विजय से काफी बढ़ गईं थीं। ये वही तरुण विजय हैं जो संघ के प्रचारक थे और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुखपत्र 'पांचजन्य' के संपादक भी रहे। तरुण ने शेहला को अपना पर्सनल सेक्रेटरी भी बनाया लिया था जिसका वेतन उसके भारतीय स्टेट बैंक के दिल्ली स्थित खाते में जमा होता था। दोनों के बीच बहुत अच्छी केमिस्ट्री थी। वो अक्सर शेहला मसूद के भोपाल स्थित घर आया करते थे तो रुकते थे। सीबीआई जांच में इस बात का खुलासा हुआ।
उधर, गिरफ्तारी के बाद जाहिदा से सच उगलवाने दिल्ली सीबीआई की एक चर्चित महिला इंस्पेक्टर भी भोपाल आई। पुलिस रिमांड के दौरान 15 दिन तक उसने भी अनेक तौर-तरीकों से सच उगलवाने की कोशिश की।
सीबीआई की एक टीम दिल्ली में पड़ी रही उनकी पत्नी वंदना विजय व बच्चों से भी पूछताछ की गई। मामले की जांच के दौरान सीबीआई ने पूछताछ के लिए तरुण को एक बार भोपाल आफिस भी तलब किया था, दिन भर चली पूछताछ के बाद शाम को वह वापस लौट गए थे।
सायको एनालिसिस टेस्ट में पकड़ी गई थी जाहिदा
जाहिदा एवं सबा का जब सीबीआई ने सायको एनालिसिस टेस्ट कराया तो उसमें दोनों फेल हो गईं। सवालों के जवाब उन्होंने झूठे एवं तोड़-मरोड़कर दिए। इसके बाद उनका पॉलीग्राफ टेस्ट होना था लेकिन इससे उन्होंने इंकार कर दिया। वहीं, सीबीआई ने ध्रुव का भी सायको एनालिसिस टेस्ट कराया जिसमें वह पास हुए, फिर पॉलीग्राफ टेस्ट में भी मशीन ने उनके बयान को सच माना।
शूटरों को बताया कि इस्लाम विरोधी है शेहला
जाहिदा ने तीनों शूटर शाकिब, इरफान एवं ताबिज को घटना के 10 दिन पहले जब शहला को दिखाया तो वह छत पर खड़ी बाल सुखा रही थी। उसने उसकी सेंट्रो कार की शिनाख्त भी कराई। जाहिदा ने तीनों को यह कहकर तैयार किया था कि शहला बुरी महिला है, वह ऐसे काम करती है जो इस्लाम में वर्जित हैं।
डिस्टर्ब हुआ था सीन ऑफ क्राइम
शहला मर्डर के तुरंत उसकी मौसी का लड़का वह शख्स था जिसने उसे ड्राइविंग सीट से उठाकर साइडवाली सीट पर बिठाया। सीबीआई मानती है कि इस कारण 'सीन ऑफ क्राइम" डिस्टर्ब हुआ।