बृजेंद्र ऋषिश्वर/भोपाल। उन दिनों चंबल के डाकुओं की दहशत पूरे देश में थी। बागी होकर जंगलों में कूदा सेना का सिपाही पान सिंह तोमर कुख्यात डाकू बन चुका था। उसे तलाशना सबसे बड़ी चुनौती थी। कई दिनों तक भूखे प्यासे रहकर जिस पुलिस अफसर ने उसका एनकाउंटर किया आज वही पुलिस अफसर महज 40 हजार की चोरी की रिपोर्ट लिखाने के लिए हर रोज थाने के चक्कर लगा रहा है।
रिटायर डीएसपी मंगल सिंह चौहान की आंखें छलक आईं। उनकी पीड़ा है कि रिटायर पुलिस अफसरों की टीआई एफआईआर नहीं कर रहे हैं, तो आम लोगों का क्या होता होगा। अकेले मंगल सिंह चौहान ऐसे अफसर नहीं हैं जो आजकल की पुलिस व्यवस्था के शिकार हुए।
उनकी तरह एमपीनगर बोर्ड आफिस के पास यूको बैंक डकैती का पर्दाफाश करने वाले रिटायर एसपी पीके दीक्षित भी इसी आधुनिक पुलिस के शिकार हैं। उनका कहना है कि टीआई अब एसपी की भी नहीं सुनता है। वह अपनी मर्जी का मालिक हैं। एसपी के एफआईआर करने के निर्देश के बाद उसको अनसुना कर देता है।
दोनों पुलिस अफसरों ने पुलिस की इस लापरवाही की कहानी डीजीपी ऋषिकुमार शुक्ला की मौजूदगी में बताई। मौका था मप्र पुलिस पेंशनर्स समिति द्वारा आयोजित 17वें विशिष्ट सदस्य सम्मान समारोह का। जहां रिटायर होने के बाद 31 दिसंबर को 75 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले सेवानिवृत पुलिस अफसरों सम्मान किया गया।