BALAGHAT मच्छरदानी खरीदी घोटाला प्रमाणित, लेकिन कार्रवाई नहीं

ANAND TAMRAKAR/ BALAGHT। क्या ऐसा भी हो सकता है कि किसी घोटाले का खुलासा हो, उसकी जांच हो, जांच में घोटाला कारित पाया जाए फिर भी दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई ना हो। यहां मच्छरदानी खरीदी घोटाले में ऐसा ही हुआ है। CMHO DR. K.K. KHOSLA को दोषी पाए जाने के बावजूद कार्रवाई की जद में नहीं लिया गया क्योंकि वो मंत्री गौरीशंकर बिसेन के आशीर्वाद प्राप्त अधिकारी हैं और इस मामले में एक IAS अफसर की विशेष अनुकंपा प्राप्त किए हुए हैं। 

बालाघाट के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा.के.के. खोसला पर मेडिकेटेड मच्छरदानी की खरीदी में करोडों रूपये का घोटाला करने के बाद भी उन पर आज तक कोई कार्यवाही नही हुई इस मामले से जुडी जांच रिपोर्ट में महालेखाकार मध्यप्रदेश ग्वालियर द्वारा आॅडिट के दौरान 1 करोड रूपये की अनियमितता पाये जाने के पुख्ता प्रमाण मिलने के बावजूद भी जांच रिपोर्ट पर कार्यवाही करने के बजाये उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।

डॉ. केके खोसला पर इस मामले के अलावा अनेक मामलों में भी आर्थिक अनियमितता से जुडे मामले जांच में पाये गये हैं उन पर भी आज तक कोई कार्यवाही नही हुई। बताया जा रहा है कि डा.के.के. खोसला पर जिले के मंत्री गौरीशंकर बिसेन का वरदहस्थ है। बालाघाट की अतिरिक्त जिलाधीश श्रीमति मंजूषा विक्रांत राय द्वारा इस मामले के संबंध में प्रेषित जांच रिपोर्ट में आर्थिक अनियमितताओं से जुडे बिन्दुओं का खुलासा किया गया है बावजूद इसके आज तक डा.खोसला पर कोई कार्यवाही नही हुई।

इतना ही नही लोकायुक्त द्वारा मच्छरदानी खरीदी में जांच प्रकरण क्रमांक 19-12-एलएलआईएम मच्छरदानी की खरीदी में की गई अनियमितताओं से संबंधित जांच प्रतिवेदन दिनांक 14/11/2014 में स्पष्ट किया गया है कि सत्र 2010-11 में जो मच्छरदानी खरीदी गई थी वे गुणवत्ता के मापदण्ड पर खरी नही पाई गई। लोकायुक्त जांच में यह भी उल्लेख किया गया है कि प्रदायकर्ता एंजेसी से लगभग 50 लाख रूपये की वसूली कर उसे काली सूची में दर्ज किये जाने की भी अनुशंसा की थी।

मच्छरदानी की खरीदी में निर्धारित गुणवत्ता मापदण्डों की खुली अनदेखी की गई है और 490 रूपये की मच्छरदानी दोगुने दामों पर खरीदी किये जाने का भी उल्लेख जांच प्रतिवेदन में किया गया है। केन्द्रीय शासन द्वारा स्वीकृत मानकों,प्रावधानों के अनुसार हितग्राहीयों को एलएलआईएन मच्छरदानियां प्रदाय किया जाना था लेकिन हितग्राहीयों का सामान्य मच्छरदानी उपलब्ध कराई गई जबकि एलएलआईएन मच्छरदानी में उन धागों का उपयोग किया जाता है जिसमें धागा बनाने की निर्माण प्रक्रिया के दौरान ही कीटनाशक दवा का निर्धारित मात्रा में सनशक्तिकरण कर दिया जाता है जिसका असर 3 वर्षो तक बना रहता है ऐसी मच्छरदानी को लगभग 20 बार धोकर पुनः उपयोग में लाया जा सकता है।

हितग्राहीयों को जो मच्छरदानी उपलब्ध कराई गई वे निर्धारित लंबाई चौडाई की भी नही थी। जांच रिपोर्ट में उल्लेखित अनियमितताओं के बिन्दुओं का हवाला देकर आर्पूिर्तकर्ता एंजेसी को भुगतान ना करने की अनुशंसा की गई थी किन्तु इन निर्देशों के विपरित सप्लायर को भुगतान कर दिया गया।

कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी के पत्र क्रमांक 4359 दिनांक 23 मई 2016 को सचिव लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग मध्यप्रदेश शासन भोपाल को प्रेषित पत्र में यह उल्लेख किया गया है कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी बालाघाट से उपलब्ध कराई गई जानकारी एवं राज्य स्वास्थ्य समिति भोपाल के पत्र क्रमांक लेखा-12-3287 भोपाल/10/12/2012 के अनुसार आडिट रिपोर्ट में अभिलेखों के संबंध में जो आपत्तियां अंकित की गई हैं साथ ही महालेखाकार ग्वालियर की रिपेार्ट में मच्छरदानी क्रेय करने में 1 करोड रूपये की गंभीर अनियमिततायें पाये जाने का उल्लेख किया गया है।

श्रीमति मंजूषा विक्रांत राय जांच अधिकारी एवं अतिरिक्त कलेक्टर के अनुसार प्रकरण की जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी गई शासन की ओर से तत्संबंध में कोई आदेश प्राप्त नही हुआ है। आदेश मिलने के बाद ही अग्रिम कार्यवाही की जायेगी।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !