मप्र के दलित IAS रमेश थेटे के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति

भोपाल। दलित महिला आईएएस शशि कर्णावत की बर्खास्तगी सुनिश्चित करने के बाद अब दलित आईएएस रमेश थेटे के खिलाफ भी शिवराज सरकार ने अभियोजन की स्वीकृति दे दी है। स्वीकृति उज्जैन जमीन घोटाला मामले में दी गई है। यह फाइल सरकार ने लंबे समय से दबा रखी थी। रमेश थेटे लगातार आरोप लगाते रहे हैं कि उन्हे दलित होने के कारण प्रताड़ित किया जा रहा है। इन दिनों सीएम शिवराज सिंह के प्रिय आईएएस राधेश्याम जुलानिया से उनका विवाद चल रहा है। कुछ दिनों पहले उन्होंने जुलानिया के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज कराई थी। माना जा रहा है कि इसी के जवाब में अभियोजन की स्वीकृति जारी कर दी गई है। 

1993 बैच के आईएएस रमेश थेटे सार्वजनिक मंचों से पिछले कई सालों से सरकार पर दलित विरोधी और भ्रष्ट अफसरों के संरक्षण के लगातार आरोप लगाते रहे हैं। प्रदेश सरकार ने रमेश थेटे पर दलित वोट बैंक की राजनीति की वजह से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की थी। मगर पिछले दिनों प्रदेश के सबसे ताकतवर ब्यूरोक्रेट्स में से एक राधेश्याम जुलानिया के खिलाफ थेटे ने एससी—एसटी एक्ट के तहत राजधानी के हबीबगंज थाने में पिछले छह दिसंबर को शिकायत की अर्जी दी थी। थेटे ने इसके साथ ही जुलानिया द्वारा कई सौ करोड़ के भ्रष्टाचार की फेहरिस्त जारी करते हुए जुलानिया के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सरकार को ललकारा भी था।

राधेश्याम जुलानिया पर हुए हमले के बाद जुलानिया समर्थित आईएएस लॉबी ने प्रेशर क्रिएट कर दिया है।  जिन मामलों में थेटे के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति दी गई है, वह सब शिकायतें थेटे द्वारा उज्जैन संभाग के एडिशनल कमिश्नर रेवेन्यू के समय की है। थेटे पर आरोप है कि उन्होंने कई सौ करोड़ की सीलिंग की जमीनों के 25 मामलों में कानूनों को शिखिल करते हुए सीलिंग मुक्त कर दिया था।
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