
सूत्रों के मुताबिक ग्वालियर में आयुक्त भू-अभिलेख रहते हुए वार्ष्णेय ने 2010-11 में सरकारी घोषित हो चुकी 600 एकड़ जमीन को सीलिंग मुक्त कर दिया था। ये जमीन पहले सरदार आंग्रे के परिवार के कब्जे में थी और 1970 से जमीन का मामला चल रहा था। 2004 में इसे सरकारी घोषित किया गया था, लेकिन वार्ष्णेय के आदेश के चलते ये फिर से आंग्रे के वारिसों के नाम हो गई। राजस्व बोर्ड, ग्वालियर ने इस मामले की शिकायत मुख्य सचिव से करके जांच कराने की मांग की थी। शिकायत की फाइल छह साल राजस्व विभाग में दबी रही।
राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने पूरे मामले में प्रतिवेदन मांगा था। इसमें वार्ष्णेय दोषी पाए गए और गुप्ता ने सामान्य प्रशासन विभाग को कार्रवाई के लिए लिखा था। विभाग ने मामले का परीक्षण कर निर्णय के लिए मुख्यमंत्री के पास भेज दिया है।