सुप्रीम कोर्ट में शराब माफिया की वकालत कर रही थी पंजाब सरकार, कोर्ट ने फटकारा

नई दिल्ली। हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के किनारे शराब के ठेके बंद करने का आदेश दे सकता है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने उस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया जिसमें गुहार की गई थी कि उत्पाद कानून में संशोधन करने का निर्देश दिया जाए जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि राजमार्गों के किनारे शराब की बिक्री न हो। 

चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई। वास्तव में पंजाब सरकार का कहना था कि अगर राजमार्ग एलिवेटेड हो तो उसके नीचे या करीब शराब के ठेके खोलने की इजाजत दी जाए।

पंजाब सरकार की यह दलील पर पीठ ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा ‘आप यह गौर कीजिए कि कितने को आपने लाइसेंस दे रखा है। चूंकि शराब लॉबी बहुत पावरफुल है इसलिए सभी खुश हैं। उत्पाद विभाग खुश है, उत्पाद मंत्री खुश हैं और राज्य सरकार भी खुश है कि क्यों वह पैसे बना रही है।’ 

पीठ ने राज्य सरकार से कहा कि अगर दुर्घटना में लोगों की मौत होती है तो आप पीड़ित परिवारों को बस एक-डेढ़ लाख रुपये मुआवजा देते हैं। पीठ ने कहा कि आपको समाज के हितों के ध्यान में रखते हुए अपना पक्ष रखना चाहिए। पीठ ने कहा कि राज्य सरकार शराब विक्रेताओं की भाषा बोल रही है। हर वर्ष डेढ़ लाख रुपये की सड़क दुर्घटनाओं में मौत होती है। हम चाहते हैं कि आप आम लोगों के हितों के ध्यान में रखते हुए कुछ कीजिए।

पंजाब सरकार को कड़ी फटकार
साथ ही पीठ ने राज्यों द्वारा राजमार्गों के बगल से ठेके हटाने के काम में बरती जा रही उदासीनता पर भी नाराजगी जताई। पीठ ने कहा कि शराब पीने से वाहन चलाने के कारण दुर्घटनाओं में इजाफा हुआ है। राजस्व प्राप्ति के लिए राज्यों द्वारा राज्यमार्गों के अगल-बगल ठेके को लाइसेंस देने को जायज नहीं ठहराया जा सकता।

यह कोई कारण नहीं हो सकता। अथॉरिटी को पोजेटिव सोच के साथ काम करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार की भी खिंचाई की। पीठ ने कहा कि भारत सरकार अब कह रही है कि राष्ट्रीय और राज्य राज्यमार्गों केकिनारे शराब के ठेके को हटा दिया जाना चाहिए। पिछले 10 वर्षों कुछ नहीं हुआ, लिहाजा हमें दखल देना पड़ा।

सुनवाई के दौरान यह भी दलील दी गई कि लोगों को शराब खरीदने के लिए दूर जाना पड़ता है। इस पर कोर्ट ने तंज कसते हुए कहा कि तो आप शराब की ‘होम डिलवरी’ करा दीजिए।
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