
याचिका दाखिल करते हुए महिला ने कहा था कि उसके ससुर की याचिका पर निचली अदालत ने उसे दो माह में घर खाली करने के आदेश दिए थे। यह आदेश सही नहीं हैं, क्योंकि जब उसकी शादी हुई थी तब से लेकर अब तक वह उसी मकान में रह रही थी। इसके साथ ही इसी मकान में उसने अपनी बेटी को जन्म भी दिया।
ऐसे में यह घर हिंदू संयुक्त परिवार की परिभाषा में आता है। वहीं महिला के ससुर ने दलील दी कि मकान उन्होंने खुद अपनी कमाई से खरीदा है। ऐसे में मकान पर उनका बेटा और बहू हक नहीं जता सकते। ससुर की ओर से बताया गया कि उनके बेटे की शादी के बाद से ही बेटे और बहू के बीच विवाद शुरू हो गया था।