भोपाल। देशभर में नए नोटों की तीव्र आपूर्ति के लिये मध्यप्रदेश के देवास स्थित बैंक नोट प्रेस (बीएनपी) में इन दिनों दिन-रात नोटों की छपाई का काम चल रहा है। यहां तक कि बीएनपी से सेवानिवृत्त हो चुके पुराने अनुभवी कर्मचारियों को भी इस काम पर लगाया गया है। बावजूद इसके भोपाल, इंदौर के एटीएम खाली हैं। बैंकों में करेंसी नहीं है। सवाल यह है कि नए नोट आखिर किस तिजोरी में जा रहे हैं। यह सवाल इसलिए भी जरूरी है क्योंकि पिछले एक महीने में 2000 करोड़ से ज्यादा मूल्य के नए नोट काले कारोबारियों के पास से पकड़े जा चुके हैं। मतलब यह कि बैंक नई करेंसी का मोटा हिस्सा आम खाताधारकों के बजाए काला बाजारियों को बांट रहे हैं।
सिक्योरिटी प्रिटिंग एंड मिटिंग कॉरपोशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसपीएमसीआईएल) की भोपाल से लगभग 150 किलोमीटर दूर देवास स्थित इकाई में आमतौर पर 20, 50, 100 और 500 रुपये के नोट छापे जाते हैं, लेकिन पिछले एक माह से यहां सभी मशीनों पर केवल 500 रुपये के नये नोट छापे जा रहे हैं। बीएनपी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘देशभर में नोटों की डिमांड है, इसलिए रोजाना नोटों का कन्साइनमेंट भेजा जा रहा है। पहला कंसाइनमेंट एक नवंबर को भोपाल भेजा गया था। इसके बाद 13 नवंबर से हवाई जहाज से रिजर्व बैंक की कई शाखाओं में नोट भेजना शुरू किया गया। रोजाना दो से तीन कंटेनर नोट इंदौर भेजे जा रहे हैं। अभी तक दिल्ली, चंडीगढ़, गुवाहाटी, कोलकाता, बेंगलुरू, कानपुर, भोपाल नोट भेजे गए हैं।
याद दिला दें कि भोपाल एवं इंदौर में पुराने नोटों के बदले नए नोट देने वाले आधा दर्जन से ज्यादा गिरोहों को पकड़ा जा चुका है। हालांकि पुलिस नोटधारी बदमाश को पकड़ने के बाद रैकेट तक पहुंचने की कोशिश नहीं कर रही। इसके चलते गिरोह अब भी सक्रिय हैं। सूत्रों का दावा है कि पिछले एक माह में 16000 करोड़ से ज्यादा के पुराने नोट अवैध तरीके से नए नोटों में बदले जा चुके हैं। यह अनुमान केवल मप्र के तीन बड़े शहरों का है।