भोपाल। पद का दुरुपयोग और जांच के नाम पर बेलगाम कार्रवाईयां करने के लिए कुख्यात राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से प्रश्रय प्राप्त शिवपुरी डीपीसी शिरोमणि दुबे एक बार फिर विवादों में आ गए हैं। इस बार उन्होंने बीच रोड पर अवैध रूप से 2 यात्री बसों को रोका, महिला अध्यापकों को नीचे उतारा, भरी भीड़ के सामने उन्हे फटकारा और फोटो भी खींचे। अब मामला विवादित हो गया है। प्रकरण पहले पुलिस और बाद में मानवाधिकार आयोग व महिला आयोग की चौखट तक पहुंच गया है। कर्मचारी संगठन भी विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं।
यादव बस मालिक ने सतनवाड़ा थाने में दिए आवेदन में बताया कि डीपीसी ने उनकी बस को करीब 15 मिनट तक रोके रखा। इसके अलावा इंडियन बस सर्विस की एक बस को भी बीच रास्ते में रोका गया। इन बसों में बैठे अध्यापक एवं महिला अध्यापकों को उतारा गया। वहीं सड़क पर सबको फटकार लगाई गई। सूत्र बताते हैं कि सबकी फोटो भी खींची गई। सारा तमाशा यात्री बस में सवार दूसरे यात्री भी देखते रहे।
डीपीसी दुबे का कहना है कि उनके शिक्षक 10.30 बजे के स्कूल समय में सुबह 10.30 बजे में बस में बैठे थे जिसे लेकर अभियान चलाया जा रहा है। उसी क्रम में बस में शिक्षकों को देख रहे थे। सतनवाड़ा थाना प्रभारी जय सिंह ने बताया कि दोनों पक्षों का आपस में राजीनामा हो गया इसलिए प्रकरण में कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।
आरटीओ विक्रम जीत सिंह का कहना है कि इस तरह से यात्री बस को रोकने का अधिकार किसी अधिकारी को नहीं है। यह अवैध कार्रवाई है। राज्य अध्यापक संघ के अध्यक्ष स्नेह रघुवंशी ने इस कार्रवाई का विरोध किया है।
मानवाधिकार आयोग के जिला कॉर्डीनेटर आलोक एम इंदौरिया का कहना है कि यह महिलाओं के निजता का हनन है। उन्होने इस घटना से राज्य मानवाधिकार आयोग को अवगत कराया है। बकौल इंदौरिया इस तरह की कार्रवाई का अधिकार तो कलेक्टर को भी नहीं है। सूत्रों का कहना हे कि मामला महिला आयोग तक भी पहुंचाया गया है। देखना रोचक होगा कि तमाम तमाशा होने के बावजूद मामले को गलत बता रहे तमाम गणमान्य कितनी देर तक शिरोमणि दुबे के सामने टिक पाते हैं।