नोट बंदी: “No नगद” सिर्फ 13 उधार

राकेश दुबे@प्रतिदिन। नोट बंदी ने कई रंग दिखाए हैं। देश में नमक के अकाल की अफवाह उडी और लोगों ने 500 रूपये एक किलो नमक खरीदा। गुजरात जो नमक का उत्पादक राज्य है उसमे तो नमक मसले को लेकर लाठी तक चली। नोट गंगा से लेकर गटर तक बह निकले है। फुटकर रूपये न मिलने पर राशन की दुकान तक लूटी गई। यह सब क्यों हो रहा है। एक भौंचक करने वाले हादसे के प्रतिफल है। नई कहावतें बन रही है। सरकार को नोट से ज्यादा नागरिक व्यवहार पर अपने को केन्द्रित करना चाहिए। हालत यह है कि बाज़ार से नगदी गायब है और उधारी में बड़े बड़े सौदे हो रहे हैं।

सबसे ज्यादा खतरा आपके बैंक खाते को है। जिसमे कुछ भी जमा और कही से भी हो सकता है। इस बात जितना आम आदमी चिंतित है उससे ज्यादा काले धन पर बनी एसआईटी। एसआईटी के अध्यक्ष व सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एमबी शाह और उपाध्यक्ष व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अरिजित पसायत ने वित्त मंत्री अरूण जेटली को पत्र लिखा है जिसमें कालेधन से निपटने के लिए 500 और हजार के पुराने नोट बंद करने के कदम की तारीफ की है। एसआईटी के पदाधिकारियों ने कहा है कि सरकार का कदम बिल्कुल सही दिशा में है, लेकिन कुछ और कदम उठाकर यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि जिनके पास कालाधन है वे उसे बदलकर सफेद नहीं कर पाएं। इसके लिए अगले कुछ महीनों तक विभिन्न स्तरों पर निगरानी की जरूरत है। दोनों पूर्व जजों के पत्र पर बैंकों को वित्त मंत्रालय ने निर्देश दिया है कि वे सीबीडीटी और एफआईयू को इन पहलुओं पर सूचित करें।

बैंकों से निर्देश में कहा गया है कि अगर किसी खाते में तय सीमा से ऊपर रकम जमा की जाती है तो उसे सार्वजनिक किए जाने की जरूरत नहीं है, बल्कि ऐसे लोगों को और पैसा जमा करने के लिए बढ़ावा दें। ऐसा सभी जमा खाते वाले व्यक्तियों की आमदनी के बारे में पड़ताल की जाएगी और भारी जुर्माना लगाया जाएगा। इस संबंध में सीबीडीटी और एफआईयू को सूचित करें। वित्त मंत्रालय ने बैंकों से कहा है कि जिन लोगों के पास कालाधन है, वह गरीब लोगों के खातों को अपना धन सफेद करने के लिए उपयोग में ला सकते हैं। ऐसे में बैंक ख्याल रखें कि बीते दिनों के जमा के औसत ट्रांजेक्शन का ख्याल हरेक खाते में रखें। यह भी प्रकाशित कराए जाने की जरूरत है कि इस स्थिति में उन दोनों लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी जिसका कालाधन है और जो अपने खाते में उसे स्थान देगा।

जज साहब की सलाह और उनकी ताकीद से अलग लोक व्यवहार दिख रहा है। वे खाते जैसे बीमा एजेंट, जरूरी उपयोग के अन्य खाते जिनके नम्बर सार्वजनिक किन्ही कारणों से है में धन का आगमन अप्रत्याशित रुप से हो रहा है। नगदी है नहीं और उधार के सौदे क्या रंग दिखायेंगे, मालुम नहीं।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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