NDTV इंडिया पर प्रतिबंध का एडिटर्स गिल्ड ने किया विरोध

नईदिल्ली। समाचार पत्रों के संपादकों की सबसे बड़ी, गंभीर एवं सर्वमान्य संस्था द एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने मोदी सरकार के उस निर्णय का स्पष्ट विरोध किया है जिसमें NDTV इंडिया को प्रतिबंधित करने का आदेश दिया गया है। एडिटर्स गिल्ड का कहना है कि बिना न्यायिक प्रक्रिया के सरकार इस तरह के निर्णय लेकर लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने का काम कर रही है। यह बिल्कुल इमरजेंसी के दिनों जैसी सेंसरशिप थापने की कोशिश है। पढ़िए एडिटर्स गिल्ड का खुलाखत: 

द एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की अंतर-मंत्रालयी समिति द्वारा NDTV इंडिया को एक दिन के लिए ऑफएयर (बंद कर देने) करने तथा उसके आदेश का तुरंत पालन किए जाने के अभूतपूर्व फैसले की एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया कड़ी निंदा करता है।

इस आदेश के पीछे का प्रत्यक्ष कारण चैनल की 2 जनवरी, 2016 को पठानकोट आतंकवादी हमले की कवरेज को बताया गया है, और सरकार का दावा है कि उस कवरेज से आतंकवादियों के हैंडलरों को संवेदनशील जानकारी मिली। सरकार द्वारा दिए गए कारण बताओ नोटिस के जवाब में NDTV ने कहा कि उसकी कवरेज संतुलित थी, और उसमें ऐसी कोई सूचना नहीं दी गई, जो शेष मीडिया ने कवर नहीं की, या जो सार्वजनिक नहीं थी।

चैनल को एक दिन के लिए ऑफएयर कर देने का निर्णय मीडिया की स्वतंत्रता, और इस तरह से भारतीय नागरिकों की स्वतंत्रता का सीधा उल्लंघन है, जिसके ज़रिये सरकार कड़ी सेंसरशिप थोप रही है, और जो एमरजेंसी के दिनों की याद दिलाता है। ब्लैकआउट के अपनी तरह के इस पहले आदेश से पता चलता है कि केंद्र सरकार समझती है कि उसे मीडिया के कामकाज में दखल देने और जब भी सरकार किसी कवरेज से सहमत न हो, उसे अपनी मर्ज़ी से किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई करने का अधिकार है। 

किसी भी गैरज़िम्मेदाराना मीडिया कवरेज के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के लिए किसी भी नागरिक या सरकार के सामने बहुत-से कानूनी मार्ग उपलब्ध हैं। न्यायिक हस्तक्षेप या निगरानी के बिना प्रतिबंध लागू कर देना न्याय तथा स्वतंत्रता के मौलिक सिद्धांतों का उल्लंघन है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया प्रतिबंध के इस आदेश को तुरंत वापस लिए जाने की मांग करता है।

राज चेंगप्पा, अध्यक्ष
प्रकाश दुबे, महासचिव
सीमा मुस्तफा, कोषाध्यक्ष

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