मोदी सरकार ने देश की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण मीटिंग ही नहीं बुलाई, करार रद्द

नई दिल्‍ली। भारत की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण मीटिंग के लिए मोदी सरकार के पास समय नहीं था। भारतीय सेना को ताकतवर बनाने वाली अमेरिकी M 777 की हल्‍की तोप होवित्‍जर खरीदने का सौदा रद्द हो गया है क्योंकि केबिनेट कमेटी ऑन सिक्‍योरिटी की बैठक निर्धारित समयावधि में आयोजित नहीं की गई और अमेरिका के साथ हुआ करार रद्द हो गया। 

दरअसल पाकिस्‍तान से बढ़ते तनाव को देखते भारत ने कुछ समय पहले अमेरिका से करार किया था। इसके तहत भारत अमेरिका से एम 777 की हल्‍की तोप होवित्‍जर खरीदने वाला था। लेकिन इसको लेकर केबिनेट कमेटी ऑन सिक्‍योरिटी की बैठक ही नहीं हो सकी जिसके चलते इस करार पर आगे नहीं बढ़ा जा सका।

एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक पेंटागन से इस बाबत एक लेटर ऑफ ऑफर एंड एक्‍सेपटेंस के मुताबिक भारत और अमेरिका के बीच एम 777 होवित्‍जर तोपों को लेकर करीब 737 मिलियन डॉलर का रक्षा करार हुआ था। यह तोप 25 किमी में अचूक निशाना लगा सकती है।

लेकिन इसको लेकर तय की गई सीमा शनिवार 5 नवंबर को समाप्‍त हो गई। भारत में हर रक्षा सौदे पर केबिनेट कमेटी ऑन सिक्‍योरिटी की बैठक में अंतिम फैसला लिया जाता है। इस बैठक में वित्‍त मंत्रालय भी हिस्‍सा लेता है। इसके बाद ही सौदे को अंतिम रूप दिया जाता है लेकिन इस दौरान कोई बैठक न होने की वजह से ही यह करार अंतिम मुकाम तक नहीं पहुंच सका।

सेना के पास अच्छे हथियार नहीं हैं
गौरतलब है कि भारतीय सेना के पास गोला बारुद से लेकर अन्‍य सैन्‍य सामग्री की कमी किसी से छिपी नहीं है। समय समय पर इसको लेकर वरिष्‍ठ अधिकारियों और नेताओं के भी बयान आते ही रहे हैं। पिछले कई वर्षों में भारत सरकार ने काेई नया रक्षा सौदा भी नहीं किया है। इसकी वजह सौदों को लेकर लगने वाले घूसखोरी के आरोप भी रहे हैं।

बोफोर्स के बाद आज तक कोई तोप नहीं खरीदी
सेना के लिए आखिरी बार 1980 में बोफोर्स तोप खरीदी गई थी। लेकिन इस सौदे को लेेकर भी सरकार पर घूसखोरी के आरोप लगे थे। इसके बाद भारतीय फौज को 155mm/39-केलिबर की हल्‍की होवित्‍जर तोपों की दरकार थी। इन तोपों को अधिक ऊंचाई वाली जगहों पर आसानी से हवाई जहाज के माध्‍यम से ले जाया जा सकता है। चीन से लगी भारतीय सीमा पर भी इन्‍हें लगाया जा सकता है।

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