
सपाक्स की ओर से प्रतिक्रिया दी गई है कि यह अपेक्षित था, क्योंकि सरकार के पास कहने को कुछ है ही नहीं, न कोई तथ्यपरक सामग्री है जो कोर्ट को दी जा सके। यह सम्भवत: शहडोल/ नेपानगर के उपचुनावों के कारण किया गया, ताकि निर्णय का विपरीत प्रभाव चुनाव पर न पड़े।
सपाक्स ने बताया कि हमारे वकीलों की बहस और विरोध के बाद न्यायालय ने मात्र 2-हफ़्ते का समय दिया और प्रकरण पुनः अंतिम सुनवाई के लिये दिनांक 23-नवम्बर को सूचिबद्ध किया।