
रक्षामंत्री पर्रिकर का यह बयान संतुलित शब्दों के साथ आया है लेकिन उन्होंने भारत की 5000 साल की धारणा को बदलने की वकालत की है जिसके तहत भारत कभी पहले हमला नहीं करता, बल्कि अपने बचाव में कार्रवाई करता है। पर्रिकर शक्ति के उचित उपयोग का समर्थन कर रहे हैं।
पर्रिकर ने गुरुवार को कहा कि उनकी राय में भारत को पहले उपयोग नहीं करने की नीति से क्यों बंधे रहना चाहिए। हम यह क्यों नहीं कह सकते कि हम जिम्मेदार परमाणु ताकत हैं और हम इसका गैरजिम्मेदार तरीके से इस्तेमाल नहीं करेंगे। पर्रिकर ने परमाणु रणनीति के बारे में सवाल के दौरान ये बात कही। इसे उन्होंने निजी राय बताया। उन्होंने कहा कि अगर पहले से तैयार रणनीति का पालन किया जाए या आप परमाणु मुद्दे पर किसी रुख पर कायम रहते हैं तो मुझे लगता है कि आप परमाणु हथियारों के मामले में अपनी शक्ति को खो रहे हैं।
पर्रिकर ने कहा, ‘कुछ लोग कह सकते हैं कि भारत की परमाणु नीति में बदलाव गया है, लेकिन किसी भी सरकार के दौरान इस नीति में बदलाव नहीं आया है। पड़ोसी देश से इस तरह की धमकियां मिलती थीं कि सुरक्षा का खतरा होने पर वह रणनीतिक तरीके से परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है लेकिन जिस दिन सर्जिकल स्ट्राइक हुआ उसके बाद से इस तरह की कोई धमकी नहीं आई है।’ रक्षा मंत्री ने कहा, ‘कोई आपके बारे में पूर्वानुमान नहीं लगा सके, यह रणनीति का हिस्सा है लेकिन हमारे पास पहले से तय चीजें होनी चाहिए ताकि सामान्य तौर पर हम उसी के मुताबिक आगे बढ़ते रहें। ( पढ़ते रहिए bhopal samachar हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।)