
गौरतलब है कि 30-31 नवंबर की दरमियानी रात भोपाल की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली सेंट्रल जेल से सिमी के आठ आतंकी एक प्रहरी की हत्या कर फरार हो गए थे। इसके बाद पुलिस की स्पेशल फोर्स ने उन्हें सुबह अचारपुरा इलाके में एनकाउंटर में मार गिराया था।
घटना के बाद से ही जेल में आतंकियों पर नजर रखने को लेकर हुई कई लापरवाहियां सामने आई थी। आतंकियों के द्वारा मारे गए प्रहरी की बेटी ने आरोप लगाया था कि जेल के वरिष्ठ अधिकारी कभी आतंकवादियों के सामने नहीं जाते थे। सिमी कार्यकर्ताओं वाले सेल में हमेशा बुजुर्ग और बीमार गार्डों की ही ड्यूटी लगाई जाती थी। आतंकवादी जो भी मांगते थे, उन्हें जेल में उपलब्ध करा दिया जाता था।