
लोकायुक्त पुलिस ने 15 जुलाई 2015 को उनके अरेरा कॉलोनी स्थित मकान पर छापा मारा था। इस दौरान करीब तीन करोड़ की अनुपातहीन संपत्ति का पता चला चलने का दावा किया गया। पुलिस के मुताबिक विवेचना के दौरान मिली एक शिकायत के बाद जितेंद्र के खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू की गई थी। आरोप था कि दिसंबर 2010 में ईडी पद पर रहने के दौरान जितेंद्र ने सरकारी रकम का इस्तेमाल निजी काम में किया है।
जांच में पता चला कि केंद्र सरकार की एसडीएसवाय योजना के लिए स्टेट लेवल रिप्रेजेंटेटिव (एसएलआर) नियुक्त किए जाने थे। इस योजना के तहत कंप्यूटर ट्रेनिंग देकर गरीब बेरोजगारों को नौकरी दिलवानी थी। उन्होंने बगैर कोई कागजी प्रक्रिया पूरी किए एसएलआर के तौर पर इंदौर की नाइस संस्था के संचालक फिरोज बंगलावाला को नियुक्त किया।