मौत के साढ़े चार माह बाद सांसद का पत्र पहुंचा कमिश्नर आफिस

राजेश शुक्ला/अनूपपुर। आदर्श ग्राम के कुछ कार्यों को लेकर सांसद दलपत सिंह परस्ते ने अपनी मौत से पहले सहायक आयुक्त शहडोल को एक पत्र लिखा था जो उनकी मृत्यु के साढे चार माह बाद बमुश्किल 1 किमी. की यात्रा कर गंतव्य तक पहुंचा। इस मामले ने एक बार फिर भारतीय डाक व्यवस्था के गाल पर जोरदार तमाचा मारा है।  

शहडोल सांसद दलपत सिंह परस्ते का मुख्यालय शहडोल में तथा मूल निवास धनपुरी  (पुष्पराजगढ) था। मौत के पांच दिन पहले 26 मई को सांसद स्व. दलपत सिंह परस्ते ने अपने सांसद आदर्श गांव केलमनिया के विकास के लिए एक पत्र कमिश्नर (आदिवासी विकास) को लिखा था। वह लगभग साढे चार माह बाद 14 अक्टूबर को आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त के पास पहुंचा। 

स्व. सांसद दलपत सिंह परस्ते अपने शहडोल निवास से पत्र जारी कर ग्राम पंचायत केलमनिया के सरपंच कामता सिंह मशराम को दिया था जो उपचुनाव की अधिसूचना जारी हो जाने के बाद अधिकारियों के संज्ञान में आया। स्व. सांसद जब केलमनिया के दौरे पर गए थे तो वहां के लोगों ने सड़क व पुलिया निर्माण सहित कई मांगे रखी थी। उन्होंने 26 मई को केलमनिया के सरपंच कामता सिंह मशराम के कहने पर एक पत्र लिखा था जो 14 अक्टूबर को आदिवासी विकास विभाग के दफ्तर पहुंचा। यह पत्र सांसद ने अपने लेटर पैड पर लिखा है। इसके साथ ही सपोर्ट में सरपंच का पत्र और प्रस्ताव के बाद जनपद सोहागपुर के उपयंत्री के प्रतिवेदन व रिपोर्ट भी संलग्र है। 

स्व. सांसद दलपत सिंह परस्ते ने कलेक्टर के नाम लिखे पत्र में कहा था कि जनभावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए आदिवासी विकास मद से स्वीकृति बावत पत्र लिख रहा हूँ। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया था कि अतिशीघ्र स्वीकृति प्रदान की जाए ताकि सांसद आदर्श ग्राम केलमनिया का समुचित विकास हो सके। 

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