देश कर्जदार हो गया क्योंकि सरकार का सिस्टम ही गलत है

ओम जैन। आजादी के समय तक रुपया और डॉलर बराबर थे लेकिन वर्तमान व्यवस्था के लागू होते ही डॉलर की बराबरी वाला रुपया गिरना शुरू हो गया और देश विदेशी भीख और कर्जों का मोहताज हो गया और जब तक यह व्यवस्था लागू रहेगी तब तक रुपया गिरता रहेगा और देश विदेशी भीख और कर्जों से ही चलेगा।

सरकारों का काम है कानूनों का पालन करवाना 
लेकिन वर्तमान में लागू व्यवस्था ने सरकारों को ही कानून बनाने का अधिकार दे दिया तो सरकारों के बनाए अनुचित-अव्यावहारिक कानूनों और न्याय, कर, अर्थ, शिक्षा और चिकित्सा नीतियों से और सरकारों के शिक्षालयों और व्यापार-उद्योगों का संचालन करने से देश में व्यापार घट गया और बेरोजगारी बढ़ गयी। रुपया गिर गया और देश विदेशी भीख और कर्जों का मोहताज हो गया। क्योंकि कानून और न्याय, कर, अर्थ, शिक्षा और चिकित्सा नीति बनाना सरकारों का काम नहीं है और शिक्षा देना और व्यापार करना राज्य का काम नहीं है। 

राज्य व्यापार करने और शिक्षा देने वाली संस्था नहीं है। राज्य रक्षा करने वाली और टैक्स से चलने वाली संस्था है और राज्य का सारा रुपया सुरक्षा-व्यवस्था और न्याय-व्यवस्था के लिए है, लेकिन वर्तमान में लागू व्यवस्था की सरकारें सुरक्षा-व्यवस्था और न्याय-व्यवस्था की आवष्यकताओं में कमी रखकर जैसे सैन्य और पुलिस बलों की कमी, आधुनिक शस्त्रों-उपकरणों और साधनों आदि की कमी, जेलों और थानों की कमी, न्यायालयों और न्यायाधीशों की कमी, सड़कों की कमी, सड़कों के रख-रखाव की कमी, अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुकूल सड़कों की कमी, मेट्रो और बुलेट ट्रेनों के अनुकूल पटरियों की कमी और पोर्ट-एयरपोर्ट आदि की कमी रखकर इन्हीं कामों को पूरा करने का राज्य का अधिकांश रुपया राज्य विरोधी कामों में फूंक रहीं है। 

जैसे यात्री जहाजों, हवाईजहाजों, बसों, रेलों, भाड़ा मालगाडि़यों और सार्वजनिक बैंकों-उद्योगों आदि के संचालन में फूंक रहीं है। ये सारे काम राज्य विरोधी इसलिए है कि इनका संचालन व्यापार का हिस्सा है और राज्य व्यापारी नहीं है। इसी तरह से सरकारों का शिक्षालयों का संचालन करना भी राज्य विरोधी कृत्य है। क्योंकि राज्य शिक्षक नहीं है। सरकारों के राज्य विराधी कामों में रुपयें फूंकने से देश की अर्थ-व्यवस्था, सुरक्षा-व्यवस्था और न्याय-व्यवस्था कमजोर हो गयी।

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