भाजपा: भुलावे तो मत दो

Bhopal Samachar
राकेश दुबे@प्रतिदिन। भारतीय जनता पार्टी ने केरल में दीनदयाल उपाध्याय के नाम से अल्पसंख्यक समुदाय की नब्ज को टटोलने का प्रयास किया। उत्तर प्रदेश चुनाव की बेला में यह जरूरी भी था। वैसे 1947 से अब तक हमारे देश में अल्पसंख्यक समुदाय के नाम पर राजनीति होती आ रही है। हमारा संविधान सभी नागरिकों को न्याय और समानता का अधिकार देता हैं। फिर वह किसी भी जाति, मजहब, लिंग या नस्ल के हों लेकिन हकीकत में राजनीतिक पार्टियाँ और चुनी हुई सरकारें एक समुदाय को लेकर राजनीति से प्रेरित घोषणाएं करतीं रही हैं। जब की सच्चाई यह है कि सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक समावेश के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए। यही वजह है कि सच्चर कमिटी, 2006 की अपनी रिपोर्ट में कह रही है कि भारतीय मुस्लिम समुदाय गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी, लाचारी एवं दंगों का शिकार है। 100 में से सिर्फ 4 मुसलमान ग्रेजुएट हैं। हैरत की बात है कि इससे पहले 1985 में गठित गोपाल सिंह कमिटी की रिपोर्ट में भी यही बात उजागर हुई थी। लोकतंत्र में सरकार द्वारा कमेटियों के गठन से कोई विरोध नहीं हो सकता, लेकिन अगर निष्पक्ष कमेटियों की सिफारिशों को लागू करने के प्रयास यदि न हों तो इनका कोई अर्थ नहीं रह जाता।

2014 में प्रकाशित ‘ब्रोकन प्रोमिसिस’ (टूटे हुए वादे) नामक एक देशव्यापी अध्ययन में पाया गया की सच्चर कमिटी की सिफारिशों के 6 वर्ष पश्चात भी गरीब मुसलमानों की जिंदगी में कोई बदलाव नहीं आया था। ना ही कोई स्कूल बने, ना ही कोई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, ना ही आंगनबाड़ी खोली गई, ना ही रोजगार के जरिये उपलब्ध हुए, ना ही कम लागत पर व्यापार के लिए ऋण राशि की सुविधा मुहैय्या हुई।

चंद रुढ़िबद्ध एवं पुरुष-प्रधान धार्मिंक गुटों या व्यक्तियों के तुष्टिकरण से मुसलमानों का फायदा नहीं हो सकता। ये बात आज आम मुसलमान नागरिक समझ रहा है। यदि भारत सरकार और भारतीय जनता पार्टी मुसलमानों के लये कुछ करना चाहती है तो यह समझना होगा कि वे प्राथमिक एवं उच्च शिक्षा के पर्याय चाहते है। वे रोजगार के अवसर चाहते  है। इसके साथ-साथ मुस्लिम लड़कियां एवं महिलाएं कानूनी तौर पर कुरानी अधिकार चाहतीं हैं। सरकार एवं जिनका तुष्टिकरण किया गया, वैसे मुसलमान नेता दोनों ही ने असली बातों पर गौर करना जरूरी नहीं समझते।

श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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