क्या आपने कभी सोचा है कि जब लोग लिखना पढ़ना नहीं जानते थे तब समय का हिसाब किताब कैसे रखते थे। वैज्ञानिकों के एक दल ने 12000 साल पुराने कैलेंडर को खोज निकाला है। इस नई डिस्कवरी ने उन सभी मान्यताओं को गलत साबित कर दिया है, जो सोचते हैं कि पृथ्वी पर मानव सभ्यता द्वारा समय की गणना तब शुरू की गई जब मनुष्य को पढ़ना और लिखना आता था।
नक्काशीयों को देखते ही वैज्ञानिकों के होश उड़ गए
गोबेकली तेपे, दक्षिणी तुर्की में शानलिउर्फ़ा शहर के पास बने गोबेकली तेपे में विशाल टी-आकार के पत्थर खड़े हैं, जैसे कोई प्राचीन मंदिर हो। इन पत्थरों पर खूबसूरत नक्काशी है - जानवर, इंसान और कुछ खास चिह्न। वैज्ञानिकों ने जब इन नक्काशियों को गौर से देखा, तो उनके होश उड़ गए! इनमें "V" जैसे चिह्न मिले, और एक पत्थर पर ठीक 365 "V" चिह्न—यानी एक साल के दिन!
12000 साल पहले लोग आकाश का नक्शा बना लेते थे
लेकिन रुकिए, कहानी यहीं खत्म नहीं होती। एक खास नक्काशी में, एक पक्षी जैसे आकृति के गले में "V" चिह्न है, जो ग्रीष्म संक्रांति को दर्शाता है। यानी ये लोग न सिर्फ दिन गिनते थे, बल्कि सूरज और तारों की स्थिति को भी समझते थे। ऐसा लगता है जैसे वे आकाश का एक नक्शा बनाते थे!
मनुष्य में आकाश का अध्ययन कब और क्यों शुरू किया
अब यहाँ एक ट्विस्ट आता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि करीब 10,850 ईसा पूर्व में एक धूमकेतु पृथ्वी से टकराया था। इसकी वजह से मौसम इतना ठंडा हो गया कि एक छोटा हिमयुग शुरू हो गया। इस बड़ी घटना ने गोबेकली तेपे के लोगों को झकझोर दिया। उन्होंने आकाश को और ध्यान से देखना शुरू किया। इन पत्थरों पर टॉरिड उल्का धारा की नक्काशी भी मिली, जो उस धूमकेतु से जुड़ी हो सकती है। यानी ये लोग समझते थे कि धूमकेतु कब और क्यों टकराते हैं। इतना ही नहीं, चाँद और सूरज के चक्रों को भी वे रिकॉर्ड करते थे। यह सब उस समय हुआ, जब दुनिया में कोई और ऐसा कैलेंडर नहीं था!
गोबेकली तेपे के लोग कितने क्रिएटिव थे, खेती की शुरुआत कहां से हुई
गोबेकली तेपे उपजाऊ अर्धचंद्र में है, जहाँ से खेती और बस्तियों की शुरुआत हुई। लेकिन यहाँ की खास बात यह है कि ये लोग खेती से पहले ही एकजुट होकर इतने बड़े पत्थर के ढांचे बना रहे थे। वैज्ञानिक मार्टिन स्वेटमैन कहते हैं कि धूमकेतु की तबाही ने लोगों को नए धार्मिक विश्वास और कला अपनाने के लिए प्रेरित किया।
इन नक्काशियों में समय और आकाश की घटनाओं का रिकॉर्ड रखना, शायद लेखन की ओर पहला कदम था। यानी गोबेकली तेपे न सिर्फ एक पुरातात्विक स्थल है, बल्कि सभ्यता की नींव का गवाह भी है। यहाँ के लोग आकाश को देखकर न सिर्फ समय गिनते थे, बल्कि अपने विश्वास और समाज को भी आकार दे रहे थे।
आपके पूर्वज कितने जिज्ञासु और बुद्धिमान थे
कल्पना कीजिए, 12,000 साल पहले, जब कोई घड़ी या कैलेंडर नहीं था, गोबेकली तेपे के लोग पत्थरों पर सूरज और चाँद की कहानी लिख रहे थे। यह खोज हमें बताती है कि हमारे पूर्वज कितने जिज्ञासु और बुद्धिमान थे। वे आसमान को देखकर न सिर्फ जीवित रहे, बल्कि एक ऐसी नींव रखी, जिसने आज की सभ्यता को जन्म दिया। अगली बार जब आप तारों भरे आसमान को देखें, तो सोचिए—शायद आपके पूर्वज भी इन्हीं तारों को देखकर समय का हिसाब रख रहे थे!
इस समाचार का निष्कर्ष
गोबेकली तेपे की खोजें प्राचीन मानव समाजों की गहन astronomical knowledge और timekeeping की क्षमता को उजागर करती हैं। T-shaped pillars पर उकेरे गए "V" चिह्न और अन्य carvings एक solar calendar और lunar cycles के प्रारंभिक चित्रण को दर्शाते हैं, जो Neolithic Revolution से भी पहले के हैं। Comet strike और उसके बाद आए climate changes ने संभवतः religious beliefs, symbolic art, और agricultural developments को प्रेरित किया, जो आगे चलकर writing और societal transformation का आधार बने। यह स्थल celestial mechanics के प्रति प्राचीन मानवों की समझ और cosmologies के निर्माण को रेखांकित करता है, जो सभ्यता के विकास में astronomy और culture के गहरे जुड़ाव को दर्शाता है।
विनम्र अनुरोध कृपया हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें। सबसे तेज अपडेट प्राप्त करने के लिए टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें एवं हमारे व्हाट्सएप कम्युनिटी ज्वॉइन करें।
महत्वपूर्ण समाचार पढ़ने के लिए कृपया स्क्रॉल करके सबसे नीचे POPULAR Category में National पर क्लिक करें। समाचार, विज्ञापन एवं प्रतिनिधित्व पूछताछ के लिए व्हाट्सएप, टेलीग्राम ईमेल के माध्यम से संपर्क करें।
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें |
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें |
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए यहां क्लिक करें |
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें |