नईदिल्ली। जैसा कि बहुत सालों से अंदेशा जताया जाता रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने आज वो कदम उठा ही लिया। 2 देशों के बीच का आपसी मामला होने के बावजूद संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने इस विवाद को निपटाने के लिए खुद को मध्यस्थ बनाए जाने का प्रस्ताव रख दिया है। पाकिस्तान हमेशा से यही चाहता था कि कश्मीर के मामले में अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी का दखल आ जाए और वो अपने मंसूबे पूरे कर सके। अब देखना यह है कि मोदी सरकार क्या स्टेंड लेती है।
बान के प्रवक्ता ने कहा कि महासचिव हालिया घटनाओं, विशेष तौर पर 18 सितंबर को उरी में भारतीय सैन्य अड्डे पर हमले के बाद नियंत्रण रेखा पर ‘‘संघर्ष विराम के उल्लंघन की खबरों’’ के मद्देनजर दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव को लेकर ‘‘बहुत चिंतित’’ हैं।
बयान में कहा गया, ‘‘संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने दोनों पक्षों से अधिकतम संयम बरतने और तनाव कम करने के लिए तुरंत कदम उठाने का आग्रह किया है।’’ बान ने भारत और पाकिस्तान की सरकारों से ‘‘कश्मीर समेत आपसी मसलों को कूटनीति एवं वार्ता के जरिये शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की अपील की है।’’ उन्होंने दोनों देशों से कहा कि ‘‘यदि दोनों पक्ष स्वीकृति देते हैं’’ तो वह मध्यस्थता के लिए उपलब्ध हैं।