
घटती आमदनी की त्यौहारों के दौरान भरपाई के लिए रेलवे ने 9 सितंबर को फ्लेक्सी फेयर स्कीम लांच की थी। इसके तहत राजधानी, दूरंतो और शताब्दी ट्रेनों में हर 10 फीसद बुकिंग पर किराये में 10 फीसद वृद्धि के साथ अधिकतम डेढ़ गुना किराया लागू कर दिया गया था। तब इस पर सवाल उठा था। परंतु रेलवे बोर्ड ने इन्हें यह कहकर खारिज कर दिया था कि पहले दो दिनों में ही स्कीम से डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक की अतिरिक्त कमाई हुई है।
तबसे डेढ़ महीना बीत चुका है। मगर रेलवे बोर्ड यह बताने से कतरा रहा है कि पहले एक महीने में स्कीम से कुल कितनी कमाई हुई है। बहाना होता है कि अभी आंकड़े तैयार हो रहे हैं। जबकि हकीकत यह है कि रेलवे में आंकड़े रोजाना अपडेट होते हैं। हर 10 दिन का ब्योरा सार्वजनिक किया जाता है परंतु अफसर त्यौहारी मांग के चुनिंदा 20 दिनों में घटते आंकड़ों के बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं।
बहरहाल, सितंबर तथा अक्टूबर के 10 दिनों के आंकड़े हकीकत को बयान कर रहे हैं। इनसे पता चलता है कि यात्री और माल यातायात-दोनों मोर्चों पर रेलवे की हालत खस्ता है। खासकर यात्री मोर्चे पर हालात बेहद चिंताजनक हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अक्टूबर के पहले 10 दिनों में यात्रियों की कुल संख्या 23.34 करोड़ से घटकर 21.87 करोड़ रह गई है। यात्रियों से होने वाली आमदनी 1220.44 करोड़ रुपये से घटकर 1179.68 करोड़ रुपये रह गई है।
आमदनी में यह कमी खासकर लंबी दूरी की ट्रेनों और उनमें भी फर्स्ट और सेकंड एसी की बुकिंग घटने के कारण हुई है। उक्त 10 दिनों में लंबी दूरी की ट्रेनों से आमदनी में 7.48 फीसद, जबकि फर्स्ट और सेकंड एसी से आमदनी में क्रमशः 18.18 फीसद और 16.04 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है।
जोरदार त्योहारी मांग के कारण हालांकि 11 से 20 अक्टूबर के दौरान यात्रियों की बुकिंग और कमाई में कुछ इजाफा हुआ है। लेकिन पंद्रह दिन बाद जब त्योहारी जुनून उतर जाएगा, तब फ्लेक्सी फेयर स्कीम के पुनः अपनी गति को प्राप्त हो जाने का खतरा है।