नईदिल्ली। पाकिस्तान से चल रहे तनाव के बीच अमेरिकी मीडिया के भी 2 रुप सामने आ रहे हैं। एक अपने राष्ट्रपति ओबामा के ऐजेंडे को आगे बढ़ा रही है तो दूसरी भारत को कमजोर संकल्प शक्ति वाले नेताओं का देश बता रही है। फॉरेन अफेयर्स में छपे एक आर्टीकल के अनुसार 'भारत ने अपने विरोधियों को सजा देने के कई मौके गंवाए। इसके बजाय उसने आसान रवैया अपनाया और दुश्मन के एक्टिविटीज को क्रिटिसाइज किया।'
यूएस की विदेश नीति और अंतराष्ट्रीय समुदाय की गतिविधियों की समीक्षा करने वाली मग्जीन फॉरेन अफेयर्स में स्टिमसन सेंटर के साउथ एशिया प्रोग्राम के डिप्टी डायरेक्टर समीर लालवानी ने लिखा है कि 'उड़ी हमले के बाद भारतीय नेताओं में एक नाराजगी है। वे मिलिट्री कार्रवाई को लेकर भी स्ट्रैटजी बना रहे हैं। इसको लेकर लंबी बहसें हो सकती हैं। भारत बदले की कार्रवाई के चलते एक बड़ा हमला कर सकता है लेकिन ये साफ नहीं है कि सरकार की राजनीतिक विश्वसनीयता, इमेज और हितों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?'
उन्होंने आगे बताया है कि '2009 के इलेक्शन और हाल के एनालिसिस बताते है कि भारत के प्रधानमंत्रियों को बड़े हमलों के बाद मिलिट्री कार्रवाई को लेकर कोई बड़ी राजनीतिक कीमत नहीं चुकानी पड़ी फिर भी भारत ने अपने दुश्मनों को सजा देने के कई मौके गंवाए। इसके बजाय उसने आसान रवैया अपनाया और दुश्मन के एक्टिविटीज को क्रिटिसाइज किया।