
उन्होंने गुना, शिवपुरी, कोलारस, बदरवास,मुंगावली आदि स्टेशनों पर उतरकर यात्रियों की संख्या देखी और टिकट काउंटर से भोपाल और ग्वालियर के टिकटों के राजस्व की जानकारी प्राप्त की। प्राप्त राजस्व और गाड़ी की आपरेशनल कास्ट की तुलना की गई तो यह ट्रेन काफी घाटे का सौदा लगी। फिलहाल इसे बंद करने से कोई राजनीतिक बवाल न हो इसके लिए इसे इंदौर तक बढ़ाने का सुझाव भी दिया गया है।
घाटे की ट्रेन तुरंत बंद करने के आदेश
दरअसल रेल मंत्रालय ने सभी जोनों के जीएम को अपने मंडलों में चल रही उन ट्रेनों का असेसमेंट करने के निर्देश दिए हैं जो घाटे का सौदा साबित हो रही हैं। उसी आदेश के परिपालन में ग्वालियर इंटरसिटी का असेसेमेंट किया गया है, जिसमें इसकी आपरेशनल कास्ट प्राप्त राजस्व की तुलना में काफी अधिक बताई गई है।
नहीं मिल रहे यात्री
भोपाल से ग्वालियर के लिए चलने वाली इंटरसिटी दस घंटे तक का रनिंग टाइम ले रही है। इसका रूट भी बहुत लंबा होने के कारण इंटरसिटी यात्रियों की पहली पसंद नहीं बन पा रही। यह ट्रेन शिवपुरी, कोलारस, बदरवास, गुना, अशोकनगर, मुंगावली, बीना और गंजबासौदा होते हुए ग्वालियर जाती है। सुबह 6.30 बजे ग्वालियर छोड़ने वाली इंटरसिटी का भोपाल पहुंचने का टाइम तीन बजे का है, लेकिन यह कभी भी शाम चार या पांच से पहले नहीं पहुंच पाती। आमतौर से गुना, शिवपुरी, बदरवास और अशोकनगर के यात्रियों की भोपाल से कनेक्टिविटी कम ही है। यहां के ज्यादातर यात्री एबी रोड से ब्यावरा होकर भोपाल आना पसंद करते हैं।