महाराष्ट्र में दलित एक्ट के खिलाफ लाखों लोग सड़कों पर

मुंबई। दलित एक्ट में बदलाव की मांग को लेकर महाराष्ट्र के लाखों लोग सड़कों पर उतर आए हैं। ये लोग बिना किसी नेता या पार्टी के सामाजिक तौर पर मैदान में हैं। यही कारण है कि इनका भव्य एवं विशालतम प्रदर्शन भी मीडिया की सुर्खियां नहीं बन पा रहा है परंतु सरकार की जमीन सरकार रही है। भोपाल समाचार इस मामले पर लगातार नजर बनाए हुए है और अपडेट दे रहा है।

रिपोर्टों के मुताबिक़ सिर्फ़ अकोला ज़िले में ही प्रदर्शनकारियों की क़रीब तीन किलोमीटर लंबी क़तार थी। कहा जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों में ज़्यादातर मराठा समुदाय के लोग हैं। इन मोर्चों की शुरुआत औरंगाबाद से हुई। इसके बाद उस्मानाबाद, फिर जलगांव और इसके बाद काफ़ी जगहों पर ये मोर्चे निकाले गए और सबसे दिलचस्प बात ये है कि इनका नेतृत्व कोई नहीं कर रहा। लातूर में सोमवार को लाखों की भीड़ इकट्ठा हुई है लेकिन ये सिलसिला पिछले क़रीब डेढ़ महीने से जारी है। मराठा समाज के लोग हर ज़िलों में लाखों की तादाद में मोर्चा निकाल रहे हैं।

कहां से भड़की आग
दरअसल कुछ महीने पहले अहमदनगर ज़िले में कोपड़ी गांव में एक मराठा लड़की के साथ अत्याचार हुआ था और आरोप दलित लड़कों पर लगा था। इस घटना का विरोध करने के लिए मराठा सड़कों पर उतर आए थे लेकिन अब मामला बदल गया है। इसकी शुरुआत औरंगाबाद से हुई. इसके बाद उस्मानाबाद, फिर जयगांव और इसके बाद काफ़ी जगहों पर ये मोर्चे निकाले गए।

ये है मांगे
कई सालों से हो रही मराठा समुदाय के आरक्षण की मांग पूरी हो।
दलित उत्पीड़न रोकथाम क़ानून में बदलाव किया जाए।
इस क़ानून की एक धारा के अंतर्गत दलित समुदाय के लोगों को जाति के नाम पर गाली देने या अपमानित करने पर गिरफ़्तारी हो जाती है और मुक़दमा चलाया जा सकता है। मराठा समुदाय के लोगों का आरोप है कि इस क़ानून का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा है। ये केंद्र का क़ानून है इसलिए इसमें संशोधन केंद्र सरकार ही कर सकती है। 

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