बदल गए हैं शादी और तलाक के स्टेंडर्ड

इंदौर। कुछ समय पहले तक विवाद और तलाक के जो कारण हुआ करते थे अब वो पूरी तरह से बदल गए हैं। अब नव युगल ने आपस में शादी का फैसला क्यों किया, और दंपत्ति ने तलाक का निर्णय किस आधार पर लिया। इन दोनों ही प्रश्नों के उत्तर चौंकाने वाले आ रहे हैं।  

आंकड़ों के लिहाज से हर साल तलाक के लिए आने वाली अर्जियों में 40 फीसदी मामलों में युगल की उम्र 30 साल से कम देखी गई है। शहर में साल 2014 में 2200, 2015 में 2600 और 2016 में अब तक 2200 शादी रजिस्टर्ड हुई हैं। इनमें लड़कों की औसतन उम्र 25 से 30 साल वहीं लड़कियों की 18 से 25 साल के बीच है।

एक साल के अंदर ही पहुंच जाते हैं कोर्ट 
19 साल की शीतल और 22 साल के विशाल ने पिछले साल ही शादी की है और अब उनके बीच मतभेद इतने बढ़ गए हैं कि उन्होंने तलाक के लिए कोर्ट में अर्जी दी है। एडवोकेट प्रवीण कचोले के अनुसार कम उम्र में शादी करने के करीब 30 फीसदी मामले एक साल के अंदर ही कोर्ट में पहुंच रहे हैं और हर साल तलाक के लिए आने वाली अर्जियों में करीब 60 फीसदी मामलों में दंपति में से किसी एक की उम्र 30 साल से कम रहती है।

बचकानी बातों को बना रहे आधार 
कम उम्र में तलाक के ज्यादातर मामलों का आधार बचकानी बातों को बनाया जा रहा है। करीब 10 फीसदी मामले ऐसे हैं, जिनका कोई आधार ही नहीं होता। पूजा और मोहित (परिवर्तित नाम ) ने ऐसी की बचकानी बात पर तलाक की अर्जी दी है। अर्जी में पूजा ने मोहित पर उसे बाहर घुमाने न ले जाने को आधार बनाया, तो मोहित ने पूजा द्वारा बिछिया न पहनने और बिंदी न लगाने को आधार बनाया।

फेसबुक-वॉट्सएप भी तलाक का कारण 
फेसबुक और वॉट्सएप भी तलाक का कारण बन रहे हैं। 21 साल के प्रवीण और 20 साल की नेहा ने अपनी तलाक की अर्जी में एक-दूसरे की सोशल साइट को बिना पूछे देखने को आधार बनाया। प्रवीण ने नेहा पर उसका वॉट्ससएप चैक करने का आरोप लगाया, तो नेहा ने प्रवीण पर उसका फेसबुक अकाउंट सर्च करने का।

भावनात्मक रूप से परिपक्व नहीं होते 
20 साल की उम्र में व्यक्ति में भावनात्मक परिपक्वता नहीं आती। इस उम्र में साथी के प्रति आकर्षण होने के कारण वे शादी तो कर लेते हैं, लेकिन जब जिम्मेदारियां आती हैं, तो यह आकर्षण कम हो जाता है। वहीं रिश्ते को निभाने की समझ की कमी के कारण वह तलाक के लिए कोर्ट पहुंच जाते हैं। इसका मतलब यह नहीं कि शादी देर से की जाए, जरूरी यह है कि युगल भावनात्मक तौर पर परिपक्व हो। 
डॉक्टर अभय पालीवाल, मनोचिकित्सक

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