
शिक्षा के नाम पर निजी स्कूल और कॉलेज हर साल मोटी फीस वसूलकर लाखों रुपए कमा रहे हैं, लेकिन नगर निगम को सिर्फ समेकित कर ही दिया जाता रहा क्योंकि नगर पालिक अधिनियम 1956 में शैक्षणिक संस्थाओं को कर के दायरे से मुक्त रखा गया था। इसको लेकर नगर निगम ने हाईकोर्ट में केस दायर किया था। इसके बाद समेकित कर के अलावा शिक्षा उपकर व जल तथा प्रकाशकर भी वसूलने के निर्देश हो गए हैं। अब नगर निगम को इन संस्थानों से हर साल करोड़ों रुपए कर के रूप में मिलने लगेंगे।
ऐसे समझे कितना कर देना होगा
शैक्षणिक संस्थान कितना भी छोटा या बड़ हो वह साल में सिर्फ एक बार 210 रुपए समेकित कर ही देता था। अब शैक्षणिक संस्थान यदि एक हजार वर्गफीट में बना है तो उसे संपत्तिकर छोड़कर अन्यकर करीब 25 सौ रुपए देना होगा। इससे निगम को करोड़ो की आय होगी।