
जिले के शिक्षा विभाग के इंजीनियर्स, बीआरसीसी और जनशिक्षकों ने स्कूलों की मरम्मत का दिखावा करते हुए करोड़ों रुपए की चांदी काटी। जिले में सन 2015-16 में 165 स्कूलों की छत की वाटर प्रूफिंग और दूसरी मरम्मत के लिए 2 करोड़ से ज्यादा रुपए की राशि जारी की गई थी।
ग्रामीण मनोहर ने बताया कि, किसी स्कूल को 80 तो किसी स्कूल 90 हजार दिए गए, लेकिन जिम्मेदारों ने छत पर 2 हजार का सीमेंट पुतवाकर 60 से 70 हजार रुपए का भुगतान कर दिया। इस खेल को जायज ठहराने के लिए इंदौर की एक फर्म से काम भी करवाया, लेकिन 15 से 20 हजार रुपए के काम 50 से 60 हजार रुपए के पेमेंट कर दिए गए। गर्मी की पूरी छुट्टियों में भ्रष्टाचार का ये खेल चलता रहा, लेकिन किसी को भनक तक नहीं लगी।
इस मामले की शिकायत मिलने पर कलेक्टर बी चंद्रशेखर ने जांच करवाई तो सच सामने आ गया। जांच दल ने निर्माणकर्ता, उपयंत्री, जनशिक्षक सहित बीआरआरसी को दोषी माना है। अब इन जिम्मदारों पर अब कड़ी कार्रवाई तय मानी जा रही है। वहीं, जिले के प्रभारी और स्कूली शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की बात कही है।