
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन व जस्टिस अनुराग कुमार श्रीवास्तव की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि व्यापमं द्वारा आयोजित परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा में मुख्यमंत्री की पत्नी के मायके गोंदिया के आवेदकों को लाभ पहुंचाए जाने का आरोप बेबुनियाद है। इसे लेकर भोपाल की अदालत में मिश्रा के खिलाफ मानहानि का मुकदमा विचाराधीन है।
परिवहन आयुक्त ने जो दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं, उनसे साफ है कि गोंदिया के एक भी आवेदक को परिवहन आरक्षक पद पर भर्ती नहीं किया गया है। इसके बावजूद मिश्रा द्वारा बहुपृष्ठीय दस्तावेजों की प्रतिलिपि की मांग की जा रही है। भोपाल की ट्रायल कोर्ट ने मिश्रा की मांग नामंजूर करते हुए व्यवस्था दी थी कि वह खुद या उसका वकील दस्तावेजों का निरीक्षण कर सकता है, लेकिन उनकी प्रतिलिपि की मांग बेमानी है। दरअसल, उसी आदेश के खिलाफ मिश्रा ने हाईकोर्ट की शरण ले ली है। चूंकि कानूनन दस्तावेज मुहैया नहीं किए जा सकते, अतः याचिका खारिज किए जाने योग्य है।