चिटफंड घोटाला: मंत्री पुत्र के खिलाफ साजिश या मंत्री पुत्र की साजिश

भोपाल। प्रदेश के दिग्गज मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव चिटफंड फ्रॉड के मामले में फंस गए हैं। कोर्ट के सामने सरेंडर होने के बाद महज 20 मिनट में मिली जमानत को अपनी बेगुनाही का आधार बताने वाले अभिषेक भार्गव का कहना है कि वो ऐसी किसी कंपनी में डायरेक्टर नहीं हैं एवं उनके खिलाफ साजिश की जा रही है जबकि भारत सरकार की Ministry Of Corporate Affairs के दस्तावेज कुछ और ही बोल रहे हैं। अब यह अनुसंधान का विषय है कि यह मामला मंत्री पुत्र के खिलाफ साजिश है या मंत्री पुत्र की ही कोई साजिश थी जिसमें बचने की तमाम कोशिशों के बावजूद वो फंस गए। 

यह है अभिषेक भार्गव का बयान
मंगलवार की शाम एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए अभिषेक भार्गव ने दावा किया कि मेरे पिताजी की ईमानदार, चरित्रवान छवि को बिगाड़ने के लिए एक सोची—समझी साजिश कर इस मामले में उन्हें जबरन फंसाया गया है। अभिषेक भार्गव ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि इस मामले में वर्ष 2015 में प्राथमिकी दर्ज हुई थी। उस समय किसी भी फरियादी ने उनके विरुद्ध कोई शिकायत नहीं की थी। पुलिस ने अनुसंधन कर चालान पेश किया, तब भी उन्हें अपराधी नहीं बनाया गया। एक वर्ष तक न्यायालय में यह मामला चला। इस दौरान जेल में बंद रहे आरोपी बसंत उपाध्याय ने कभी भी उनके विरुद्ध कोई तथ्य प्रकट नहीं किए। अभिषेक भार्गव का कहना है कि बीते 26 फरवरी 2016 को जेल में बंद चिटफंड घोटाले के आरोपी बसंत उपाध्याय ने सरकारी वकील के माध्यम से कोर्ट को एक आवेदन पत्र सौंपा। अभिषेक भार्गव का कहना है कि सात महीने तक इस आवेदन पत्र की कोई सूचना उन्हें नहीं दी गई। बाद में बिना उनका बयान लिए, भाजपा की प्रदेश कार्य समिति की बैठक के ठीक दो दिन पूर्व उनके नाम का गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया गया। अभिषेक भार्गव का कहना है कि यह साजिश उनके पिता के राजनीतिक भविष्य को खराब करने के लिए की गई है। अभिषेक भार्गव ने दावा किया है कि इस मामले में यदि वह आरोपी होते तो उन्हें कोर्ट से महज बीस मिनिट में जमानत नहीं मिल पाती। 

यह बोल रहे हैं सरकारी दस्तावेज
सरकारी दस्तावेज बताते हैं कि अभिषेक भार्गव ना केवल निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने वाली कंपनी श्रद्धा सबुरी कमोडिटीज प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर हैं बल्कि इसके अलावा इसी तरह की 2 अन्य कंपनियों के भी डायरेक्टर हैं। इनका DIN No. 05187383 है। गिरफ्तार किया गया आरोपी बसंत उपाध्याय भी उनका साथी डायरेक्टर हैं। बाकी आरोपी फरार हैं। कंपनी अधिनियम के तहत यदि कंपनी किसी तरह का फ्रॉड करती है तो उसके डायरेक्टर जिम्मेदार होते हैं। ऐसी स्थिति में अभिषेक भार्गव अपनी जिम्मेदारी से मुकर नहीं सकते। रही बात रायसेन पुलिस द्वारा की गई जांच की तो यह भी कहा जा सकता है कि पुलिस ने मंत्री के दवाब में गलत जांच की। मामला साजिश का नहीं बल्कि निवेशकों के 80 करोड़ का है। जो कंपनी गटक गई है। मामला फर्जी निवेश योजनाएं संचालित करने का है। ऐसे ही मामले में सहारा चीफ सुब्रतो रॉय जेल में हैं। 

ABHISEK BHARGAV इन कंपनियों में भी हैं डायरेक्टर
SHRADDHA SABURI COMMODITIES PRIVATELIMITED : Director, 23 March 2012
SAGARSHREE A.S. BUILDERS PRIVATE LIMITED: Director, 14 June 2013
SAGARSHREE HOSPITAL & RESEARCH INSTITUTE PRIVATE LIMITED: Director, 19 July 2013

श्रद्धा सबूरी कमोडिटीज प्राइवेट लिमिटेड में कुल 3 डायरेक्टर हैं
BASANT UPADHYAY: Director, 23 March 2012
ABHISEK BHARGAV: Director, 23 March 2012
KAWAL NAIN VALECHA: Director, 23 March 2012

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