
इस पंचायत की ज्यादातर आबादी बाढ़ की चपेट में है। पीड़ितों का आरोप है कि यहाँ के पीड़ितों को किसी भी तरह का सरकारी राहत, मेडिकल की सुविधा नहीं मिल पा रही है। लोग घरों को छोड़कर रेल लाइन के किनारे रह रहे हैं, लेकिन सरकार का कोई भी नुमाइन्दा इन्हें आज तक देखने नहीं आया। बाढ़ पीड़ितों का गुस्सा इतना अधिक था कि उन्होंने अधिकारी को नदी में फेंक दिया। जिसके बाद किसी तरह नदी में तैरकर अधिकारियों ने अपनी जान बचाई।
बताते चलें कि इस साल भारत के 30 प्रतिशत से ज्यादा इलाके में बाढ़ का कहर बरपा है, जबकि सरकारें 10 प्रतिशत बाढ़ पीड़ितों तक भी मदद नहीं पहुंचा पाईं हैं। ऐसे मामलों में तत्काल राहत की जरूरत होती है परंतु आपात मीटिंगों के अलावा सरकारों की ओर से कोई त्वरित कार्रवाई नहीं की गई जिससे लोग आक्रोशित हैं।