आखिर ऐसा क्यों हो रहा है ?

राकेश दुबे@प्रतिदिन। देश की नब्ज को या तो नौकरशाह समझ नहीं रहे है। या जानबूझकर यह सब किया जा रहा है। दोनों ही स्थिति में यह सरकार की विफलता है। ताज़ा उदहारण इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन का है सरकार के नाराज़गी जाँच और अन्य कार्रवाईयों से भरे अख़बार, सरकारी नोटिफिकेशंन को नजरंदाज करते हुए दिल्ली में इस फाउंडेशन के लायसेंस का नवीनीकरण हो गया। गौर तलब बात यह है की ऐसे नवीनीकरण राज्य सरकार की सहमति का बगैर नहीं होते। इस संस्था का मुख्यालय महाराष्ट्र में है और इसके लिए महाराष्ट्र की भाजपा सरकार की अनुशंसा लगी होगी। इसे केंद्र सरकार धांधली मान रही है। 

उसने इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाईक के एनजीओ को एफसीआरए लाइसेंस का नवीनीकरण करने में कथित धांधली के लिए गृह मंत्रालय के चार अधिकारियों को रातों-रात निलंबित कर दिया। सवाल यह है की सारा देश जनता है कि नाइक अपने कथित कट्टरपंथी विचारों के लिए सुरक्षा एजेंसियों की जांच के दायरे में हैं। गृह मंत्रालय ने पाया कि नाईक के खिलाफ चल रही विभिन्न जांच के बावजूद उसके एनजीओ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के एफसीआरए लाइसेंस का हाल में नवीनीकरण किया गया। जिन अधिकारियों को निलंबित किया गया है, उनके नाम और रैंक की तत्काल जानकारी अभी सामने नहीं आई है। 

गृह मंत्रालय के सूत्रों  ने कहा, ‘नाईक के एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस के नवीनीकरण में इन चार अधिकारियों की कथित भूमिका के लिए इन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। नाईक सुरक्षा एजेंसियों की जांच के दायरे में तब आया जब ढाका में एक जुलाई को किए गए आतंकी हमले का एक आरोपी उस का फालोवर निकला। नवीनीकरण की इस प्रक्रिया में महाराष्ट्र सरकार की उस अनुशंसा की भी जाँच होना चाहिये, जो इस प्रकार की कार्रवाई की प्राथमिक शर्त होती है। पुलिस की विशेष शाखा का काम ऐसी गतिविधियों पर नजर रखना है। जाँच होनी चाहिए चूक कहाँ हुई। 
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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