नईदिल्ली। पाकिस्तान को भारतीय हमले से बचाने के लिए हर स्तर पर कूटनीतिक प्रयास कर रहे अमेरिका को खुशी है कि नागरिकों के भारी दवाब के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी युद्ध को टालते जा रहे हैं। एक अमेरिकी अखबार की एक रिपोर्ट में मोदी की परिपक्वता की तारीफ की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी पाकिस्तान के साथ कश्मीर मुद्दे को लेकर चल रही तकरार को बेहतरीन लहजे से डील कर रहे हैं।
भारत में अपना कारोबार प्रभावित होने से घबराए अमेरिका और चीन अपने अपने तरीकों से भारत-पाक युद्ध को टालने की कोशिश कर रहे हैं। जहां चीन खुद को पाकिस्तान की तरफ दिखाकर भारत को डराने की कोशिश कर रहा है वहीं अमेरिका सूझबूझ भरी कूटनीतिक कोशिश कर रहा है। यहां तक कि अमेरिकी सदन में पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करने का प्रस्ताव भी पेश करा दिया गया ताकि भारतीय नागरिकों का गुस्सा शांत हो जाए।
अमेरिका ने युद्ध के आर्थिक खतरे गिनाए
अमेरिकी अखबर की रिपोर्ट में कहा गया है कि कश्मीर विवाद के कारण भारत-पाक में तनाव है और ये पीएम मोदी के लिए बड़ी चुनौती है। मोदी भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार चाहते हैं और देश में शांति बनाना चाहते हैं। दूसरी ओर उरी हमले के बाद देश के नागरिक चाहते हैं कि पाक को इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाना चाहिए। भारत-पाक के हालात को देखते हुए भारत की आर्थिक स्थिती पर खतरा मंडरा रहा है। यही नहीं दोनों देशों में परमाणु युद्ध की आशंका भी जताई जा रही है।
थोड़ी सी चेतावनी भी दी
शूटिंग फॉर ए सेंचुरी- द इंडिया-पाकिस्तान कॉननड्रम के लेखक स्टीफन पी कोअन ने अपने लेख में कहा है कि अगर दोनों देशों में भारी युद्ध हुआ तो दोनों देशों को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
कश्मीर में स्वायतता चाहता है अमेरिका
वहीं कर्नेगी एन्डाउन्मेंट फोर इंटरनेशनल पीस के एक सीनियर एसोसिएट एश्ले जे टेलिस ने अखबार से कहा कि मैं सोचता हूं मोदी के पास इसे सुलझाने के लिए राजनीतिक क्षमता है। मोदी के साथ दो सकारात्मक चीजें हैं- उनकी भारतीय जनता पार्टी लोकसभा में बहुमत में है। ऐसे में वह कोई भी साहसिक और प्रासंगिक कदम उठाने में सक्षम हैं। दूसरी बात यह कि मोदी की पार्टी मजबूत हिन्दू राष्ट्रवादी है और उन्हें किसी भी तरह के तुष्टीकरण का आरोप नहीं झेलना होगा। मोदी को रिस्क उठाने की इजाजत होगी। जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों की आबादी सबसे ज्यादा है, लेकिन कश्मीरी युवाओं से संवाद बड़ी मुश्किल है। टेलिस का कहना है कि मोदी को संवाद का रास्ता चुनना चाहिए। उन्हें 1954 के समझौते के तहत कश्मीर में स्वायतता के जरिए रास्ता निकालना चाहिए।