हाईकोर्ट ने नहीं लगाया गणेश प्रतिमाओं के नदी में विसर्जन पर प्रतिबंध

जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने गणेश प्रतिमाओं पर विसर्जन की मांग वाली याचिका को इस निर्णय के साथ समाप्त कर दिया कि 'कलेक्टर अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए समुचित इंतजाम सुनिश्चित करें।' याचिकाकर्ता चाहते थे कि नदी में गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन पर सख्ती के साथ प्रतिबंध लगा दिया जाए। 

सोमवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन व जस्टिस अनुराग कुमार श्रीवास्तव की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के महामंत्री कन्हैया उर्फ शैलेश तिवारी की ओर से अधिवक्ता सौरभ शर्मा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि कटनी में कटनी नदी सहित अन्य की हालत खराब है। प्रदूषण ने नदियों का बहाव जगह-जगह रोक रखा है। ऐसे में श्रीगणेश की प्लास्टर ऑफ पेरिस की प्रतिमाएं नदी में विसर्जित किए जाने की नदी की सेहत पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव परिलक्षित होना तय है। प्रतिमाओं से निकलने वाला रंगों का रसायन नदी के जीव-जंतुओं के अलावा जल की प्रकृति को जहरीला बना देगा। साथ ही प्लास्टर ऑफ पेरिस नदी सतह सहित अन्य स्तरों पर घातक है।

जिला प्रशासन ध्यान दे
जनहित याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि जिला प्रशासन को श्रीगणेश प्रतिमाओं के विसर्जन को लेकर श्रद्घालुओं के बीच बनी असमंजस की स्थिति को दूर करना चाहिए। इसके लिए समय रहते नदियों के समीप कुंड बनाने होंगे। अब तक कटनी में किसी कुंड का निर्माण नहीं किया गया। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या श्रीगणेश की मिट्टी की प्रतिमाएं नदी में ही विसर्जित की जाएं? हाईकोर्ट ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर को अविलंब समस्या का समाधान करने निर्देश दे दिए। नदी में प्रतिमा विसर्जन की परंपरा पर प्रतिबंध लगाने से इंकार कर दिया। 

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