
याद दिला दें कि अध्यापकों के छोटे छोटे मामलों में भी बड़े बड़े पेंच निकल आते हैं। ना अफसर समस्याएं दूर करते हैं और ना ही अध्यापकों नेता समस्याओं को पूरी तरह खत्म कराने की पहल करते हैं। ऐसी स्थिति में यदि ट्रांसफर अटक गई तो नई भर्तियां भी अटकी रह जाएंगी।
मध्यप्रदेश में संविदा शिक्षकों की भर्ती लम्बे समय से नहीं हुई है। व्यापमं परीक्षा की तारीख घोषित करके पलट चुका है। सरकार इस मामले में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ रही है जबकि स्कूलों में कई पद खाली पड़े हुए हैं। माना जा रहा था कि 2016 में भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जाएगी एवं 2017 के सत्र से रिक्त पद भरे हुए मिलेंगे परंतु अब नई भर्तियां भी पुरानी राजनीति में उलझ गईं।