नईदिल्ली। गौरक्षकों पर गुस्सा जताने के बाद जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने ही घर में घिर गए हैं, यह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए चिंता का विषय है। वो लोग जो मोदी के खिलाफ बयान देने वालों का जीना मुश्किल कर दिया करते थे, इन दिनों मोदी पर सीधे हमले कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर कई इस तरह के कमेंट सामने आ रहे हैं, जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए चिंता का विषय यह हो गया है कि कहीं दलितों को पटाने की राजनीति में मोदी भाजपा के पारंपरिक वोट बैंक को बट्टा ना लगा दें। एक कदम आगे बढ़ने के प्रयास में 10 कदम पीछे ना चले जाएं। उत्तरप्रदेश का चुनाव सर पर है और उसके बाद लगातार चुनाव ही चुनाव हैं। एक बार फिसले तो संभलना मुश्किल हो जाएगा।
शिवसेना ने भी इस मामले में दखल दिया है। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में लिखा गया है कि गाय रक्षकों पर टिप्पणी के लिए प्रधानमंत्री को हिंदुत्व समर्थकों के गुस्से का शिकार होना पड़े तो हमें आश्चर्य नहीं होगा। मोदी से हमारा सवाल है कि इस तरह के लोग गाय रक्षा के नाम पर अवैध गतिविधियां क्यों चला रहे हैं जो पिछले दो वर्षों में उभर कर सामने आए हैं।
गोमांस पर प्रतिबंध के लिए कानून लाया गया
इसने कहा कि कांग्रेस शासनकाल में गाय रक्षकों की आवाज इतनी कमजोर थी कि सत्ता में लोग इसे नहीं सुन पाए और गोमांस पर प्रतिबंध के लिए कानून लाया गया (महाराष्ट्र में)।
गौ रक्षा के नाम पर देश में हिंसा
शिवसेना ने जानना चाहा कि भाजपा का समर्थन करने वाले संगठनों में कई ऐसे थे जो (गौ) रक्षा के लिए उठ खड़े हुए। क्या सरकार अब सोचती है कि ये संगठन भी अवैध व्यवसाय कर रहे हैं? इसने कहा कि यह ‘‘आश्चर्यजनक’’ है कि गाय रक्षा के नाम पर उस देश में हिंसा हो रही है जहां वृद्ध मां..बाप को वृद्धाश्रम में भेज दिया जाता है, कन्या भ्रूण हत्या होती है और नवजातों को कूड़े में फेंक दिया जाता है ताकि उनकी जिम्मेदारी नहीं उठानी पड़े।
मोदी ने रविवार को दलितों पर हिंसा करने वालों से भावुक अपील की कि अगर वे चाहते हैं तो उन पर हमला करें लेकिन दलित ‘‘भाइयों’’ पर हमला करना बंद कर दें।