
बता दें कि अध्यापक संगठनों के बीच चल रही राजनीति पिछले कुछ समय से काफी तेज हो गई है। हालात यह बन गए हैं कि अध्यापक हितों के लिए गठित हुए कई सारे संगठन अध्यापक हित की बात करने तक को तैयार नहीं हैं। अपनी धाक जमाए रखने के लिए एक दूसरे संगठनों की टांग खिंचाई भी चल रही है।
अध्यापकों की सारी राजनीति इन दिनों सोशल मीडिया पर सिमटकर रह गई है। लंबे समय से संगठन के नेता अलग अलग समय पर एकजुट होने की बात करते हैं परंतु अभी तक अध्यापकों की एकता दिखाई नहीं दे पाई है।