
भारतीय शोधकर्ताओ ने प्लास्टिक के कूड़े से निपटने के लिए ये नई तकनीक बनाई है। इससे प्लास्टिक के कूड़े को पेट्रोल और डीजल बनाने में सफलता मिलेगी। इस तकनीक के माध्यम से जो पेट्रोल-डीजल बनेगा वह साधारण पेट्रोल-डीजल से कहीं ज्यादा अच्छी क्वालिटी का होगा। ये तकनीक अभी सिर्फ जर्मनी और अमेरिका के पास थी अब भारत के पास भी हो गई।
भारत ने जर्मनी और अमेरिका की बराबरी करते हुए ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया। प्लास्टिक के कूड़े को पेट्रोल-डीजल मे परिवर्तित करने की तकनीक को ग्रीन तकनीक कहा जाता है। इस तकनीक को भारत मे पहली बार देहरादून के भारतीय पेट्रोलियम संस्थान के शोधकर्ताओ ने हासिल की है।