बीजेपी ज्वाइन करके पछता रहे हैं नगरपालिका अध्यक्ष

दतिया। बसपा के टिकट पर चुनाव जीते नगरपालिका अध्यक्ष सुभाष अग्रवाल बीजेपी ज्वाइन करने के बाद पछता रहे हैं। उन्होंने खुले तौर पर स्वीकार किया कि वो जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए। परिषद की साधारण सभा के सम्मेलन में उन्होंने दतिया की दुर्दशा का दोष किसी के माथे नहीं मढ़ा बल्कि एक पछतावा दिखाई दिया और प्रायश्चित्त का प्रण भी। दरअसल, दल बदलने के बाद वो भाजपा के दवाब में इस कदर आए कि नगरपालिका पर अपना नियंत्रण ही खो बैठे। एक अच्छे भविष्य की योजना ने इस कगार पर ला खड़ा किया कि वो खुद से आंख नहीं मिला पाए। अंतत: उन्होंने स्पष्टवादिता का रुख किया जो राजनीति में बहुत कम ही देखने को मिलता है। 

मेरे कार्यकाल की जांच कराओ, भ्रष्टाचार मिटाओ
नपाध्यक्ष ने खुद मांग रखी कि नपा को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए उनके कार्यकाल में जो भी निर्माण कार्य हुए हैं, सामग्री क्रय की गई है, 10 हजार से अधिक का भुगतान हुआ है सभी की जांच कराई जाए। उन्होंने उम्मीद जताई कि आगामी दिनों में नपा की सड़ी गली प्रशासनिक व्यवस्था का पोस्टमार्टम किया जाएगा। उनके इस भाषण का सभी पार्षदों ने टेबल थपथपा कर स्वागत किया। 

नाकामी स्वीकार करने की बड़ी वजह 
अध्यक्ष अग्रवाल बसपा से चुनाव जीते थे। तीन माह जनहित में काम किए। अप्रैल 15 में भाजपा में शामिल हुए। भाजपा में शामिल होते ही अवैध रूप से कर्मचारियों को भर्ती करने व भ्रष्टाचार के आरोप लगे। बार बार पार्षदों के गुट बदले। जनता समस्या से जूझती रही। जनता में अध्यक्ष की आलोचना होने लगी। अध्यक्ष के साथ उनका परिवार भी निशाने पर आया। 

कद्दावर भाजपा पार्षदों ने शहर के कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अध्यक्ष की अनदेखी शुरू कर दी थी। अध्यक्ष की बगैर स्वीकृति या जानकारी के निर्णय लिए जाने लगे थे। हाल ही में लगा मीना बाजार इसका उदाहरण है। नपा अधिकारियों ने भी अध्यक्ष को तवज्जो देना बंद कर दिया था। 

गुजारिश
जनप्रतिनिधि तथा कर्मचारियों से भी मैं सहयोग की अपील करता हूं कि जाने अनजाने में हो चुकी गलतियों को अब सुधार लिया जाए।अब सब मिलकर संकल्प लें कि अब कोई ऐसा कार्य नहीं करें या किसी ऐसी गतिविधि में शामिल न हो जो जनता या नगरपालिका के विकास में बाधक हो। 

अफसोस
नगरपालिका तंत्र की कार्यप्रणाली से जो आमजन में असंतुष्टि का भाव है, उसे मैंने डेढ़ साल के कार्यकाल में समझा है। मुझे अंतर्मन से इस बात का अफसोस है कि मैं अभी तक जन आकांक्षाओं की कसौटी पर खरा नहीं उतर सका। मैं यथा शक्ति यह प्रयास करुंगा कि जिस भाव से नागरिकों ने मुझे नगरपालिका सौंपी है, उसे कभी नागरिकों की भावनाओं एवं अपेक्षाओं के अनुरूप नगरपालिका प्रशासन को जनता के प्रति जवाबदेह, सरल एवं अनियमितताओं एवं भ्रष्टाचार से मुक्त बना सकूं। 

स्वीकारोक्ति
मेरे कार्यकाल में जो निर्माण कार्य हुए हैं, सामग्री क्रय की गई है, मरम्मत कार्य कराए अथवा श्रमिकों की भर्ती की गई, इन सभी प्रकरणों की जांच किसी उचित सक्षम एवं निष्पक्ष एजेंसी से कराई जाए। मेरे कार्यकाल में अभी तक 10 हजार रुपए से अधिक का भुगतान जिन जिन प्रकरणों में किया गया है, उनकी जांच भी कराई जाए। इन सभी में जो कर्मचारी, पदाधिकारी या जनप्रतिनिधि जो भी दोषी पाए जाएंगे, चाहे वह स्वयं मैं ही क्यों न हूं। कार्रवाई के लिए प्रशासन से अनुरोध करूंगा। 

दिल का दर्द 
नपा प्रशासन की हालत ठीक नहीं है। आम आदमी अपने कार्य को कराने के लिए जब नगरपालिका जाता है तो संबंधित कर्मचारी सीट पर नहीं मिलता या काम में इतने अड़ंगे बता देता है कि थका हुआ आदमी और निराश हो जाता है। अधिकारी वर्ग की उदासीनता कष्टदायक है। क्योंकि अधिकारियों का अपने अधीनस्थों पर समुचित नियंत्रण नहीं है। 

नई कोशिश
मैं कुछ दिनों में जनमित्र कार्यक्रम प्रारंभ करूंगा, जिसमें जनता द्वारा दी गई शिकायतों को पंजीबद्ध कर उनके निराकरण में सहयोग करेंगे, उनके सुझावों पर उचित कार्य योजना को प्रतिपादित करेंगे। यदि नपा में कोई कर्मचारी आपसे पैसों की मांग करता है तो विश्वसनीय प्रमाण के साथ सीधे मुझसे संपर्क करें। 

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