
यह मामला राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की समन्वय बैठक में दमदारी से उठाया गया। इतना ही नहीं बैठक के बाहर आकर भी सांसदों ने अपनी बात को दमदारी से रखा। सतना के सांसद गणेश सिंह ने कहा कि प्रदेश में लालफीताशाही बड़ी समस्या है, जिसे खत्म करना जरूरी है। किसी भी योजना की विफलता में नेताओं के साथ नौकरशाह भी जिम्मेदार होते है। यहां जरूरत जिम्मेदारी तय करने की है, क्योंकि नेता काम नहीं करते तो जनता उन्हें अस्वीकार कर देती है पर नौकरशाह का कुछ नहीं होता। ऐसे में नौकरशाही को नियंत्रित करने पर भी जोर दिया जाना चाहिए।
कुल मिलाकर जनप्रतिनिधियों का मानना है कि सीएम या मंत्रियों से सेटिंग करके कुर्सी पर आए अधिकारियों को किसी ना किसी नियम के तहत बांधना चाहिए ताकि वो आम जनप्रतिनिधियों की बातों को सुनें और जवाब दें। जनता का दवाब जनप्रतिनिधियों पर होता है। जनता उनसे उम्मीद करती है। यदि अधिकारी जवाबदेह नहीं होंगे तो जनप्रतिनिधित्व का अर्थ ही नहीं रह जाएगा।