
इसके लिए पीएम मोदी ने पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ शंकर आचार्य के नेतृत्व में एक समिति भी गठित की है। यह समिति नए वित्त वर्ष की शुरुआत को लेकर हर पहलू पर विचार और जांच करेगी। डॉ शंकर के अलावा इस समिति में पूर्व कैबिनेट सचिव के.एम.चन्द्रशेखर, तमिलनाडु के पूर्व मुख्य वित्त सचिव पी.वी.राजारमण और टर ऑफ पॉलिसी रिसर्च के वरिष्ठ फेलो डॉ राजीव कुमार भी शामिल हैं।
लाइव हिंदुस्तान के अनुसार, प्रधानमंत्री ने इस विमर्श में दिलचस्पी दिखाते हुए ‘mygov.in’ फोरम पर लोगों से सुझाव मांगे हैं। इसकी अंतिम तारीख 30 सितम्बर रखी गई है। बता दें कि इससे पहले यह मुद्दा आज से 30 साल पहले उठा था और 1985 में एल.के.झा समिति ने इस बारे में मूल्यांकन किया था। हालांकि तत्कालीन सरकार ने वित्त वर्ष के कैलेंडर में बदलाव के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया था।