
परामर्श में कहा गया है कि "हाल में कुछ ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जिनमें कुछ लोगों या समूहों ने गोरक्षा के नाम पर कानून अपने हाथों में लिया है और गौरक्षा के नाम पर अपराध किया है। यह एक स्वीकार्य स्थिति नहीं है।"
आगे कहा गया है कि राज्यों से अपेक्षा की जाती है कि वे कानून अपने हाथ में लेने वाले लोगों से तत्परता से निपटें और कानून के मुताबिक दंडित करें। बगैर किसी अपवाद के इस तरह के व्यक्तियों को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए और कानून का पूरा प्रभाव उन पर लागू होना चाहिए। साथ ही कोई भी व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता।