
संडे को मीडिया से मुलाकात के दौरान श्री गौर ने कहा कि मध्य प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी वही है जो मेरे मुख्यमंत्री काल में थी। लेकिन, काम लेने वाला चाहिए। गाड़ी कैसी चलेगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि ड्राइवर कैसा है। नेता को अपना राजधर्म समझना चाहिए।
कई बार नेता ऐसी नाजायज मांग रख देते हैं, जो अधिकारी पूरी नहीं कर सकते। अधिकारी सबकी सुनते है लेकिन सुनाने वाला चाहिए। जब मैं मुख्यमंत्री था तब मेरे साथ तो अधिकारी गली-मुहल्लों और गांव-गांव तक जाते थे। दरअसल ये पूरी कमी ड्राइवर में है। आप कह सकते हैं कि घोड़े में नहीं, घुड़सवार में कमी है।