मप्र के 90 हजार शिक्षक करेंगे 'शिक्षक दिवस' का बहिष्कार

इंदौर। प्रमोशन और समयमान वेतनमान देने में सतत उपेक्षा एवं भेदभाव से दुखी एवं आक्रोशित स्कूल शिक्षा विभाग में पदस्थ 90 हजार से अधिक शिक्षक 5 सितंबर को शिक्षक दिवस का बहिष्कार करेंगे। अपनी श्रेष्ठ सेवा के बदले पुरस्कार स्वरूप मिले राष्ट्रपति और राज्यपाल पदक भी सरकार को वापस लौटाएंगे। इसके लिए पुरस्कृत शिक्षकों से सहमति पत्र भरवाए जा रहे हैं। अमूमन आंदोलन से दूर रहने वाले इन शिक्षकों ने इस बार आर-पार की लड़ाई की तैयारी कर ली है। इसके लिए इंदौर में 21 अगस्त को प्रांतीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी।

समग्र शिक्षक/सहायक शिक्षक, व्याख्याता एवं प्राचार्य कल्याण संघ के प्रांतीय संयोजक सुरेश दुबे ने यहां जारी बयान में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार निकायों में पदस्थ सहायक अध्यापकों को पांच से सात साल की सेवा के उपरांत पदोन्नत कर रही है, जबकि स्कूल षिक्षा विभाग में पदस्थ सहायक शिक्षकों को 30 से 40 साल की सेवा के उपरांत भी पदोन्नत नहीं किया गया है। दीर्घकालीन सेवा के पश्चात इन सहायक शिक्षकों को शिक्षक पदनाम दिए जाने से सरकार पर कोई वित्तीय भार भी नहीं पड़ने वाला है। सरकार दूसरे कर्मचारियों को वित्तीय भार सहन करके लाभान्वित कर रही है, जबकि सहायक शिक्षकों को वित्तीय भार नहीं पड़ने पर भी प्रमोषन देने से परहेज कर रही है। प्रमोशन की आस में शिक्षक जिस पद पर नियुक्त हुए थे, उसी पद पर रिटायर होते जा रहे है। इन शिक्षकों के लिए दूसरे विभाग के प्रमोट हुए अपने कनिष्ठ कर्मचारियों के अधीन कार्य करना अपमान के घूंट पीने जैसा है। सतत अपमान से उनमें आक्रोश पनप रहा है।

संगठन के प्रांतीय संयोजक सुरेश दुबे एवं रामनारायण लहरी का कहना है कि प्रमोशन ही नहीं अपितु समयमान वेतनमान देने में भी सरकार सहायक शिक्षकों, शिक्षकों एवं प्रधान पाठकों से भेदभाव कर रही है। सरकार स्कूलों में पदस्थ व्याख्याता, प्राचार्य, लिपिक एवं भृत्य को समयमान वेतनमान का लाभ दे दिया है, जबकि सहायक शिक्षकों को इससे वंचित कर दिया गया। श्री दुबे ने कहा कि इसके विरोध में सैकड़ों शिक्षकों ने न्यायालय की शरण ली और उनके पक्ष में निर्णय भी हो गया। अब अवमानना याचिका भी लगाई गई है। सरकार शिक्षकों को लाभ प्रदान करना तो दूर उन्हें कोर्ट में ही उलझाए रखना चाहती है, जिससे समय व धन की बर्बादी भी हो रही है। विभाग के अधिकारी भी टालमटूली कर रहे है। इससे शिक्षकों का धैर्य जवाब देने लगा है। संगठन ने कई बार इन अधिकारियों के समक्ष अपनी बात रखी है, जिसमें उन्हें आश्वासन तो हर बार मिला है पर कोई ठोस हल नहीं निकला है।

संगठन के जिला संयोजक संतोष जैन ने बताया कि संगठन के बैनर तले प्रदेश के शिक्षक अपने हक के लिए लामबंद हो गए हैं। इसके लिए समग्र शिक्षक/सहायक शिक्षक, व्याख्याता एवं प्राचार्य कल्याण संघ का प्रांतीय सम्मेलन 21 अगस्त को इंदौर में आयोजित होगा। श्री गौड़ विद्या मंदिर जूनी इंदौर में दोपहर 12.30 बजे आयोजित इस सम्मेलन में प्रांतीय, संभागीय, जिला, तहसील तथा महिला प्रकोष्ठ के पदाधिकारी अपनी टीम के साथ मौजूद रहेंगे। सभी शिक्षक साथियों को इस संबंध में सूचना भेज दी गई है। इस प्रांतीय सम्मेलन में विचार मंथन के बाद आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी। उन्होंने बताया कि सहायक शिक्षकों की सतत उपेक्षा से पुरस्कृत शिक्षक भी दुखी है। उन्होंने संगठन के शांतिपूर्वक बहिष्कार आंदोलन का समर्थन किया है। उनके समर्थन में वे अपने मेडल भी सरकार को वापस कर देंगे। इस संबंध में उनसे सहमति पत्र भी भरवाए जा रहे हैं।

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