मप्र केबिनेट मीटिंग के निर्णय 02/08/2016

भोपाल। प्रदेश में उद्योगों के विकास और विस्तार के लिए निर्मित वातावरण को बेहतर बनाने के लिए नौ नए औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में निर्णय लिया गया कि इन नए औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना 2625 हेक्टेयर भूमि में की जाएगी। इस उद्देश्य से 1940 करोड़ रुपए के व्यय की अनुमति दी गई। ये नौ क्षेत्र है - इंडस्ट्रियल एरिया (धार), जेतापुर पलासिया (धार), बडियाखेड़ी (सीहोर), मोहासा बाबई (होशंगाबाद), पडोरा (शिवपुरी), झाँझरवाड़ा (नीमच), उमरिया-डुंगरिया का विस्तार (जबलपुर), बाबूपुर (सतना) और आई टी पार्क (इंदौर)।

मंत्रि-परिषद ने निर्णय लिया कि वृहद औद्योगिक इकाइयों को अविकसित भूमि आवंटन प्रक्रिया तथा वाणिज्य उत्पादन शुरू करने के लिए अतिरिक्त समयावृद्धि देने के लिए मध्यप्रदेश राज्य औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम 2015 में आवश्यक संशोधन किया जाए।

उद्योग संवर्द्धन नीति 2014 को क्रियान्वियत करने के लिए वाणिज्य-उद्योग और रोजगार विभाग ने मध्यप्रदेश निवेश प्रोत्साहन योजना लागू की है। मंत्रि-परिषद ने हेल्थ केयर इन्वेस्टमेंट पॉलिसी में सुविधाएँ देने की प्रक्रिया निर्धारित करने के लिए लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण में प्रस्तावित मध्यप्रदेश स्वास्थ्य क्षेत्र निवेश प्रोत्साहन योजना-2016 का अनुमोदन किया। योजना में लोक स्वास्थ्य-परिवार कल्याण और चिकित्सा शिक्षा विभाग निवेशकों को निर्धारित सहायता उपलब्ध करवायेंगे।

मंत्रि-परिषद ने प्रदेश की विद्युत वितरण कंपनियों को आर-एपीडीआरपी पार्ट-बी योजना के लिए ग्रामीण विद्युतीकरण निगम से मिलने वाले ऋण के लिए 1388 करोड़ 23 लाख रुपए की प्रत्याभूति की अवधि को 31 मार्च 2017 तक बढ़ाने का निर्णय लिया।

प्रदेश में एम्बुलेंस की सुविधा प्राप्त करने के लिए अब अलग-अलग नंबर के स्थान पर केवल एक नंबर 108 लगाना ही काफी होगा। मंत्रि-परिषद ने निर्णय लिया कि प्रदेश में संचालित विभिन्न रोगी परिवहन सेवाओं संजीवनी-108 एम्बुलेंस सुविधा, जननी एक्सप्रेस सेवा और दीनदयाल चलित अस्पताल योजना का समन्वय किया जाएगा। इन सेवाओं को एकीकृत रूप से एक ही केंद्रीय कॉल सेंटर के माध्यम से एक ही एजेंसी द्वारा संचालित किया जाएगा।

मंत्रि-परिषद ने सहकारी बैंकों से संबद्ध प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर दिये जा रहे अल्प अवधि कृषि ऋण योजना को 31 जनवरी 2017 रखे जाने का निर्णय लिया।

मंत्रि-परिषद ने निर्णय लिया कि कॉलेज ऑफ फिजिशियन एंड सर्जन (सीपीएस), मुम्बई के माध्यम से चिन्हित जिला चिक्तिसालयों में शासकीय सेवा में कार्यरत चिकित्सा अधिकारियों के लिए 6 चिन्हित विधाओं में डिप्लोमा कोर्स शुरू किया जाए। यह विधा निश्चेतना, स्त्री रोग, शिशु रोग, जनरल मेडिसिन, रेडियोलॉजी और क्रिटिकल केयर हैं। इन कोर्स में भर्ती के लिए चिकित्सकों की अलग परीक्षा होगी। मध्यप्रदेश मेडिकल कांउसिल में तदनुसार आवश्यक संशोधन की कार्यवाही चिकित्सा शिक्षा विभाग संपादित करेगा।

मंत्रि-परिषद ने तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग के तहत पी.आई.यू. पीडब्ल्यूडी द्वारा प्री-फेब पद्धति से निर्माणाधीन आई.टी.आई. भवनों के पुनरीक्षित प्राक्कलन का अनुमोदन किया। इसके अलावा बुरहानपुर एवं नेपानगर आई.टी.आई. में परंपरागत आई.टी.आई. परिसर का अनुमोदन भी किया गया।

मंत्रि-परिषद ने मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना और मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना में संशोधन किया। इसके अनुसार स्व-रोजगार योजना की लोअर लिमिट 20 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपए की गई है। इस योजना में 50 हजार से 10 लाख तक की परियोजनाएँ स्वीकृत की जाएंगी। आर्थिक कल्याण योजना में परियोजना लागत की अपर लिमिट 20 हजार के स्थान पर अधिकतम 50 हजार रुपए की गई। इस योजना में सामान्य वर्ग के लिए मार्जिन मनी अनुदान परियोजना लागत का 15 प्रतिशत तथा बीपीएल/अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग (क्रीमी लेयर को छोड़कर)/महिला /नि:शक्त जन के लिए मार्जिन मनी अनुदान परियोजना लागत का 50 प्रतिशत होगा। मार्जिन मनी अनुदान की अधिकतम सीमा 15 हजार रहेगी।

मंत्रि-परिषद ने वर्तमान में लागू 'अ', 'ब' और 'स' श्रेणी के पंजीयन को समाप्त करते हुए केवल एक ही श्रेणी में सभी ठेकेदारों का केंद्रीकृत व्यवस्था के तहत पंजीयन किए जाने का निर्णय लिया। इस प्रकार से पंजीकृत ठेकेदार किसी भी निविदा में शामिल होने के लिए पात्र होंगे। इस व्यवस्था के अनुरूप ठेकेदारों से पंजीयन शुल्क 25 हजार रुपए रखा गया है।

मंत्रि-परिषद ने 'मध्यप्रदेश ग्रामीण अधोसंरचना तथा सड़क विकास नियम 2005' में संशोधन का अनुमोदन किया। इसमें संशोधन के बाद 'ग्रामीण अवसंरचना' के स्थान पर 'ग्रामीण अवसंरचना , पेयजल आपूर्ति योजना' स्थापित किया जायेगा।

मंत्रि-परिषद ने विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त संगठन में न्यायालयीन कार्य के लिए कोर्ट मोहर्रिर (आरक्षक) के कुल 46 पद स्वीकृत किए।

मंत्रि-परिषद ने 20 माध्यमिक विद्यालय का हाई स्कूल में उन्नयन करते हुए कुल 200 पद की मंजूरी दी है। इसमें प्राचार्य के 20 पद, संविदा शाला शिक्षक वर्ग-2 के 120 पद, संविदा शाला शिक्षक विज्ञान वर्ग के 20 पद, कम्प्यूटर ज्ञान प्राप्त निम्न श्रेणी लिपिक के 20 पद तथा भृत्य के 20 पद शामिल हैं।

मंत्रि-परिषद ने मध्यप्रदेश स्टेट स्पाशियल डाटा इंफ्रास्ट्रकचर परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए मध्यप्रदेश एजेंसी फॉर प्रमोशन ऑफ इन्फारमेशन टेक्नालॉजी (मेप आय टी) में 9 संविदा आधारित अस्थायी पद की स्वीकृति दी।

मंत्रि-परिषद ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत मध्यप्रदेश राज्य इलेक्ट्रानिक विकास निगम में एसआरडीएच परियोजना के लिए परियोजना मैनेजमेंट यूनिट की स्थापना के लिए 6 पद निर्मित करने की मंजूरी दी। यह पद पाँच वर्ष के लिए संविदा आधार पर स्वीकृत किए गए।

मंत्रि-परिषद ने विमानन संचालनालय में आयुक्त विमानन का पद सृजित करने का निर्णय लिया। यह पद प्रशासनिक सेवा के सचिव स्तर के अधिकारी से भरा जाएगा।

मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना को मंजूरी
मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना के जरिये ऐसे क्षेत्रों में किसानों को बिजली उपलब्ध करवाई जायेगी जहाँ स्थायी विद्युत पंप कनेक्शन देने की व्यवस्था नहीं है अथवा वहाँ विद्युत अधोसंरचना का विकास नहीं हुआ है। इस योजना को आज मंत्रि-परिषद की बैठक में मंजूरी दी गई। इसके साथ ही मंत्रि-परिषद ने विद्युत नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2016-17 में लागू विद्युत दरों में उपभोक्ताओं को सब्सिडी देने का भी निर्णय लिया है। इस निर्णय से राज्य शासन 7900 करोड़ रूपये विद्युत वितरण कंपनियों को देगी। इसका सर्वाधिक लाभ कृषकों को मिलेगा। विद्युत दरों में छूट से कृषकों को 7600 करोड़ की सब्सिडी मिलेगी।

मंत्रि-परिषद ने निर्णय लिया है कि कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये सोलर पम्प के जरिये ऐसे क्षेत्रों में बिजली उपलब्ध करवायी जायेगी, जहाँ विद्युत अधोसंरचना का विकास नहीं किया जा सका है। मंत्रि-परिषद द्वारा स्वीकृत योजना को समूह अथवा क्लस्टर बनाकर लागू करने में प्राथमिकता दी जायेगी। योजना का लाभ ऐसे ग्राम, टोले, वन-क्षेत्र और ऐसे स्थलों को मिलेगा, जो वर्तमान में अविद्युतीकृत हैं और अगले दो-तीन वर्ष तक वहाँ परम्परागत रूप से बिजली पहुँचने की संभावना नहीं है। योजना का लाभ लेने के लिये उपरोक्त क्षेत्रों की विद्युत लाइन से कम से कम 300 मीटर दूरी जरूरी है। इसके साथ ही नदी या बाँध के समीप ऐसे स्थान, जहाँ पानी की पर्याप्त उपलब्धता हो और फसलों के चयन के कारण जहाँ वॉटर पम्पिंग की आवश्यकता अधिक रहती है (जैसे बुरहानपुर का केला क्षेत्र) और कृषकों को बिजली की वास्तविक खपत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित 1500 यूनिट प्रति एच.पी. से अधिक होती है, में योजना का लाभ मिलेगा। योजना उन जिलों में भी क्रियान्वित की जाना प्रस्तावित है, जहाँ विद्युत वितरण कम्पनियों की वाणिज्यिक हानि काफी अधिक है। उन क्षेत्रों में भी सोलर पम्प लगाने को प्राथमिकता दी जायेगी, जहाँ विद्युत वितरण कम्पनियों द्वारा अधिक वाणिज्यिक हानियों के कारण ट्रांसफार्मर हटा लिये गये हैं और परिणामत: क्षेत्र के किसान असंयोजित हैं।

मंत्रि-परिषद ने सोलर पम्पिंग को प्रोत्साहन देने के लिये योजना में 80 प्रतिशत तक के अनुदान पर कृषकों को पम्प मुहैया करवाने का निर्णय लिया है। इसमें हितग्राही का अंश सोलर पम्प की लागत का सिर्फ 20 प्रतिशत होगा। योजना में 3 एच.पी. तक डी.सी. पम्प ही उपयोग किये जायेंगे, इससे अधिक क्षमता के दोनों ए.सी. और डी.सी. पम्प प्रयोग किये जायेंगे। पाँच एच.पी. से अधिक क्षमता के सोलर पम्पों पर राज्य अनुदान एवं निर्धारित केन्द्रांश ही लागू होगा। प्रत्येक क्षमता के ए.सी.-डी.सी. एक ही दर पर हितग्राहियों को दिये जायेंगे। योजना में व्यक्तिगत हितग्राहियों के साथ ही किसानों के समूहों को भी लाभान्वित किया जायेगा। योजना में स्थापित सोलर पंप संयंत्र में पाँच वर्ष की गारंटी के साथ रख-रखाव भी सम्मिलित होगा। इस योजना का क्रियान्वयन ऊर्जा विकास निगम द्वारा कृषि विभाग के समन्वय से किया जायेगा।

विद्युत दरों में उपभोक्ताओं को सब्सिडी
मंत्रि-परिषद ने आज वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिये लागू विद्युत दरों में सब्सिडी देने का भी निर्णय लिया है। इसके अनुसार 30 यूनिट तक के मासिक खपत वाले घरेलू उपभोक्ता को प्रति यूनिट 90 पैसे की सब्सिडी जारी रहेगी। स्थायी संयोजन वाले फ्लेट रेट कृषि उपभोक्ताओं को प्रति हार्स-पॉवर प्रतिवर्ष मात्र 1400 रुपये की दर से बिजली का बिल देना पड़ेगा। शेष राशि की प्रतिपूर्ति राज्य शासन द्वारा सब्सिडी से की जायेगी। अनुसूचित-जाति एवं जनजाति के कृषि उपभोक्ताओं को एक हेक्टेयर तक की भूमि और 5 हार्स-पॉवर तक के पम्प पर नि:शुल्क बिजली दी जायेगी। राज्य शासन इसकी प्रतिपूर्ति विद्युत वितरण कम्पनी को करेगा। अस्थायी संयोजन वाले कृषि उपभोक्ताओं को एक रुपये 75 पैसे प्रति यूनिट की दर से सब्सिडी मिलेगी। स्थायी तथा अस्थायी, दोनों श्रेणी के कृषि उपभोक्ता के लिये फिक्स मासिक शुल्क एवं एफसीए (ईंधन लागत समायोजन) का पूर्ण भार राज्य शासन द्वारा वहन किया जायेगा। नगरपालिका और नगर पंचायत की निम्न-दाब सड़क बत्ती योजना के लिये नियत प्रभार पर राज्य शासन द्वारा 95 रुपये प्रति किलोवॉट प्रतिमाह की सब्सिडी दी जायेगी। उच्च-दाब उदवहन समूह सिंचाई उपभोक्ताओं को वार्षिक न्यूनतम प्रभार से छूट देते हुए एक रुपये 90 पैसे प्रति यूनिट की सब्सिडी ऊर्जा प्रभार में दी जायेगी। गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले अनुसूचित-जाति एवं जनजाति के एक बत्ती कनेक्शन उपभोक्ताओं से प्रतिमाह 25 यूनिट तक विद्युत प्रभार नहीं लिया जायेगा। पॉवर लूम उपभोक्ताओं को 25 हार्स-पॉवर तक एक रुपये 25 पैसे प्रति यूनिट की सब्सिडी ऊर्जा प्रभार में दी जायेगी।

विद्युत नियामक आयोग द्वारा लागू की गयी विद्युत दरों में उपभोक्ताओं को उपरोक्त छूट दिये जाने पर राज्य शासन द्वारा विद्युत वितरण कम्पनियों को 7,900 करोड़ से अधिक की सब्सिडी दी जायेगी। इससे सर्वाधिक प्रदेश के कृषि उपभोक्ता लाभान्वित होंगे, जिनकी सब्सिडी लगभग 7,600 करोड़ रुपये होगी।

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