Weird Laws: ये कैसा कानून, बालिका वधु को अनाथ करके छोड़ देता है

सुमेधा पुराणिक चौरसिया/इंदौर। 16 वर्षीय मनीषा की परिवार ने शादी करा दी। वह महीना भर ससुराल में रही। इस बीच बाल विवाह की शिकायत हो गई। प्रशासन ने उसे ससुराल से मुक्त कराकर निराश्रित बच्चों की संस्था में रखवा दिया। उसे महीनेभर का गर्भ था। हाल ही में उसका प्रसव हुआ। बड़ा अजीब कानून है जो एक अबोध बालिका को अपने पति और पिता दोनों से दूर कर देता है। वो गर्भवती है, उसका तलाक भी नहीं हुआ लेकिन उसका कोई प्रमाणित पति भी नहीं है। आने वाले बच्चे को किसका नाम दे। गुनाह उसने नहीं किया, सजा उसे क्यों मिल रही है। 

महाराष्ट्र की 17 वर्षीय कमला का परिवार ने बाल विवाह कराया। वह पंद्रह दिन ससुराल में रही। बाल विवाह की शिकायत होने पर प्रशासन ने उसे ससुराल से निकालकर संस्था में रखवा दिया। मायके पक्ष पर भी बाल विवाह कानून के तहत केस दर्ज हुआ तो वे लड़की को घर भी नहीं ले गए। दो महीने से वह संस्था में है।

मनीषा और कमला की तरह ही और भी नाबालिग लड़कियां 'अपनों" के किए की सजा भुगत रही हैं। बाल विवाह की शिकायत मिलने के बाद 10 लड़कियों को इस साल बाल कल्याण समिति ने अनाथालय में शरण दिलाई है। ये वो लड़कियां हैं, जिन्हें उनके ही घरवालों ने नाबालिग दुल्हन बनाया तो कानून ने अनाथ बना दिया।

शादी शून्य, पर गर्भपात नहीं
राऊ स्थित जीवन ज्योति संस्था, श्रद्धानंद बाल आश्रम, वामा महिला उत्थान एवं बा का घर में ज्यादातर बाल विवाह से पीड़ित लड़कियों को रखा गया है। जीवन ज्योति में तो दो नाबालिग गर्भावस्था में पहुंची थीं। कानून के मुताबिक उनकी शादी शून्य घोषित कर दी गई थी। नियमानुसार अब वे ससुराल से संबंध नहीं रख सकतीं, वहीं मायकेवाले भी उन्हें नहीं ले गए। संस्था ने उनका प्रसव कराया। एक लड़की को तो 18 साल का होने पर ससुराल ने अपना लिया, लेकिन दूसरी को कस्तूरबा ग्राम भेज दिया गया।

ससुराल ने नहीं अपनाया तो क्या होगा?
नाबालिग दुल्हन निर्मल और शीतल ने का कहना है कि हमें ससुराल से तो निकाल दिया गया, पर आगे कुछ समझ नहीं आ रहा कि क्या करें? स्कूल की पढ़ाई छूट गई, माता-पिता भी समाज के डर से साथ नहीं रख रहे। संस्था में कितने दिन रहना है, पता नहीं। 18 साल का होने के बाद ससुरालवाले स्वीकार करेंगे या नहीं, नहीं किया तो कहां जाएंगे।
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